बुलडोजर एक्शन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

बुलडोजर एक्शन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

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सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर एक्शन पर कड़ा रुख,दूसरी बार व्यक्त की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को एक अहम फैसले में बुलडोजर एक्शन को देश के कानूनों के खिलाफ बताया। कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया, और जस्टिस एसवीएन भट्टी शामिल थे, ने इस पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। यह एक ऐसा कदम है, जो कानून की मूल अवधारणाओं के खिलाफ है।

दूसरी बार व्यक्त की नाराजगी

यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। इससे पहले, 2 सितंबर को भी अदालत ने इसी तरह की टिप्पणी की थी, जहां कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलाना उचित नहीं है।

गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ मामला

यह मामला गुजरात के खेड़ा जिले के कठलाल से जुड़ा है, जहां नगरपालिका ने एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी थी। इस घटना के बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के अनुसार, उसके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके बाद नगर निगम ने उसके घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी।

याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी तीन पीढ़ियां इस घर में पिछले दो दशकों से रह रही हैं, और केवल प्राथमिकी दर्ज होने के आधार पर उनके घर को ध्वस्त करने की धमकी दी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। बिना किसी ठोस आधार के संपत्ति को ध्वस्त करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि न्याय की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। कोर्ट ने नगरपालिका अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।

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पूरे देश के लिए गाइडलाइंस की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर पूरे देश के लिए गाइडलाइंस जारी करने की योजना बना सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी का बेटा आरोपी है, तो उसके पिता का घर गिरा देना कानून का सही उपयोग नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यह समय है कि ऐसे मामलों में देशव्यापी दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों।

बुलडोजर एक्शन के पीछे के उदाहरण

1. मध्य प्रदेश का मामला (अगस्त 2024):

छतरपुर में 21 अगस्त 2024 को पुलिस पर पथराव के आरोपियों के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ। 24 घंटे के भीतर 20 करोड़ रुपये की तीन मंजिला हवेली को ध्वस्त कर दिया गया था। परिवार का कोई सदस्य उस समय वहां मौजूद नहीं था।

2. राजस्थान का मामला (अगस्त 2024):

उदयपुर में 17 अगस्त 2024 को एक बच्चे ने दूसरे बच्चे को चाकू मारकर घायल कर दिया, जिसके बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया गया। इससे पहले सरकार ने अवैध कब्जे के तहत आरोपी के पिता को घर खाली करने का नोटिस दिया था।

3. उत्तर प्रदेश का मामला (जून 2024):

मुरादाबाद में एक विवाहिता के अपहरण के प्रयास के बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया गया। इसके अलावा बरेली में एक हत्या के मामले में होटल मालिक जीशान का होटल भी ध्वस्त कर दिया गया था।

बुलडोजर का इतिहास और वर्तमान उपयोग

मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी, जब इसे विकास के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने अतिक्रमण हटाने के लिए इसका इस्तेमाल किया।

हालांकि, 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। इसके बाद इस मॉडल को अन्य राज्यों ने भी अपनाया। बुलडोजर एक्शन का उद्देश्य अब अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा जाने लगा, खासकर अतिक्रमण और अवैध संपत्तियों के मामले में।

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सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाया है और कहा कि कानून का पालन सबसे ऊपर होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि किसी व्यक्ति के अपराध के आधार पर पूरे परिवार को सजा देना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह कानून के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।

आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर सकता है, ताकि इस तरह की कार्रवाई को कानूनी ढांचे के भीतर नियंत्रित किया जा सके।

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