मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फीस रिफंड मामले में प्राइवेट स्कूलों को राहत दी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फीस रिफंड (fees refund) मामले में प्राइवेट स्कूलों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने फिलहाल पेरेंट्स को फीस लौटाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और जबलपुर कलेक्टर को इस मामले में नोटिस भी जारी किया है, और अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त निर्धारित की है।
fees refund डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई
मामले की सुनवाई मंगलवार को हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच में हुई। इस याचिका को पांच प्राइवेट स्कूलों द्वारा दायर किया गया था, जिनमें क्राइस्ट चर्च बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, क्राइस्ट चर्च स्कूल बॉयज एंड गर्ल्स, प्रेस चर्च स्कूल घमापुर, सेंट एलॉयसिस स्कूल पोलीपाथर, और सेंट लिक स्कूल सदर शामिल हैं। इन स्कूलों ने 20 जुलाई को याचिका दायर की थी, जिसमें उनकी ओर से एडवोकेट अंशुमान सिंह ने पैरवी की।
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पहले फीस रिफंड खारिज हुई थी याचिका
इससे पहले, 30 जुलाई को इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच में हुई थी। उस समय कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ताओं को डिवीजन बेंच में जाने का निर्देश दिया था। इसके बाद अगले दिन ही डिवीजन बेंच में रिट पिटीशन दायर की गई, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के वकील के तर्क
याचिकाकर्ता के वकील अंशुमान सिंह ने कोर्ट में तर्क दिया कि “मध्यप्रदेश निजी स्कूल फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम की धारा 5 के तहत प्राइवेट स्कूलों को 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की अनुमति है। इस मामले में जिला स्तरीय समिति को फीस निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। 10% तक की फीस वृद्धि के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसे पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी है और जिला स्तरीय समिति को भी सूचित करना अनिवार्य है। यदि फीस वृद्धि 10 से 15% के बीच होती है, तो इसकी समीक्षा जिला स्तरीय समिति करेगी। 15% से अधिक की फीस वृद्धि के मामले में राज्य स्तरीय समिति निर्णय लेगी।”
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प्राइवेट स्कूलों पर लगे थे भारी जुर्माने
इससे पहले, जबलपुर में 11 प्राइवेट स्कूलों को बुक्स, यूनिफॉर्म और अन्य शिक्षण सामग्री के नाम पर अभिभावकों से वसूली गई मनमानी राशि को लौटाने का निर्देश दिया गया था। इन स्कूलों को 81.30 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश मिला था, साथ ही 22 लाख रुपए की पेनाल्टी भी लगाई गई थी। इसके अलावा, 51 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी, जिनमें से 20 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इनमें स्कूलों के चेयरमैन, प्राचार्य, सीईओ, मैनेजर, सदस्य और एडवाइजर शामिल थे।
fees refund फीस वसूली की जांच
मामला तब और गंभीर हुआ जब अप्रैल 2018 से अप्रैल 2024 के बीच अभिभावकों से वसूली गई फीस की जांच की गई। यह जांच जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर की गई थी, जिसमें कई अनियमितताएं पाई गईं। बस्तों के वजन को लेकर भी गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया था।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले से प्राइवेट स्कूलों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन इस मामले की आगामी सुनवाई 25 अगस्त को होगी, जिसमें कोर्ट अंतिम फैसला सुनाएगा।