एमपी में सरकारी कर्मचारी निजी अस्पताल में करा सकेंगे इलाज: 50 से ज्यादा हॉस्पिटल सूचीबद्ध, मनमानी वसूली पर रद्द होगी मान्यता
एमपी में सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के 50 से अधिक निजी अस्पतालों को सीजीएचएस (Central Government Health Scheme) की दरों पर सूचीबद्ध कर दिया गया है। इसका सीधा लाभ प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों को मिलेगा, जो अब नामी निजी अस्पतालों में भी रियायती दरों पर इलाज करा सकेंगे।
इन सेवाओं का मिलेगा लाभ

एमपी में सरकारी कर्मचारियों को निजी अस्पताल में इलाज
सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, निम्नलिखित प्रमुख सेवाएं इस योजना के अंतर्गत उपलब्ध होंगी:
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जनरल मेडिसिन
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जनरल सर्जरी
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कार्डियोलॉजी
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ऑर्थोपेडिक्स
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न्यूरोसर्जरी
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यूरोलॉजी
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प्लास्टिक सर्जरी
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रेडिएशन व मेडिकल ऑन्कोलॉजी
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पीडियाट्रिक सर्जरी
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स्त्री-रोग
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ईएनटी
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दंत शल्य चिकित्सा
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कार्डियोथोरेसिक सर्जरी
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पॉलिट्रोमा
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डायलिसिस
क्या है CGHS दरें और उनका लाभ
CGHS दरें केंद्र सरकार द्वारा तय की गईं चिकित्सा सेवा दरें हैं, जो सामान्यतः एम्स और अन्य सरकारी अस्पतालों की दरों पर आधारित होती हैं। इन दरों पर उपचार का मतलब है कि निजी अस्पताल भी अब इन दरों के अनुसार ही शुल्क वसूलेंगे, जिससे मनमानी वसूली पर लगाम लगेगी।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
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कोई बीमा या एडवांस जरूरी नहीं – कर्मचारी बिना किसी बीमा या अग्रिम भुगतान के इलाज करा सकेंगे।
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जनरल वार्ड में 10% कम राशि प्रतिपूर्ति योग्य, वहीं प्राइवेट वार्ड में 15% अधिक राशि प्रतिपूर्ति योग्य होगी।
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डे-केयर इलाज की सुविधा मिलेगी, जैसे डायलिसिस, कीमोथैरेपी आदि।
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सेमी प्राइवेट वार्ड के लिए भी CGHS दरें लागू होंगी।
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ICU, ऑपरेशन, फिजियोथेरेपी, नर्सिंग सेवाएं सहित सभी शुल्क पैकेज में शामिल होंगे।
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कौन-कौन से शहरों के अस्पताल शामिल हैं
प्रदेश के प्रमुख शहरों के कई प्रतिष्ठित निजी अस्पताल इस सूची में शामिल किए गए हैं:
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भोपाल – लक्ष्या मल्टी स्पेशियलिटी, पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल, बंसल हॉस्पिटल, रामकृष्ण मेडिकल कॉलेज
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इंदौर – सीएचएल ट्रस्ट हॉस्पिटल, श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट
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ग्वालियर – आईटीएम, कृष मेमोरियल
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रीवा – विंध्य हॉस्पिटल
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शाजापुर, कटनी, हरदा, बैतूल, विदिशा, होशंगाबाद – स्थानीय प्रमुख अस्पताल शामिल
अस्पतालों पर होगी सख्त निगरानी
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अस्पताल CGHS दर से अधिक शुल्क वसूलता है या इलाज की गुणवत्ता में कमी पाई जाती है, तो उसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी। विशेष मामलों जैसे कार्डियक सर्जरी में, अस्पताल में कैथ लैब, आईसीसीयू, ब्लड बैंक और विशेषज्ञ डॉक्टर की मौजूदगी अनिवार्य होगी।
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बिलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता
इलाज के बाद, कर्मचारी को एक निर्धारित प्रारूप में इलाज का बिल देना होगा। इसमें प्रत्येक सेवा का स्पष्ट उल्लेख होगा ताकि कोई अतिरिक्त शुल्क न लिया जा सके। अस्पताल को अलग से दवा या उपकरण बेचने की अनुमति नहीं होगी।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी
यह योजना न केवल एमपी में सरकारी कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी बल्कि राज्य में स्वास्थ्य प्रणाली को भी अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगी। इससे निजी अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ेगी और कर्मचारियों को बिना आर्थिक बोझ के गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सकेगा।
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