सुप्रीम कोर्ट ने यूपी 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, 23 सितंबर को अगली सुनवाई
उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी, जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षक भर्ती -सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई, जहां उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश अब तक के लिए स्थगित रहेगा। उन्होंने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे अपनी लिखित दलीलें जमा करें ताकि इस मामले की अंतिम सुनवाई की जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें हाई कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से अध्ययन करने के लिए समय चाहिए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इससे पहले जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी की गई सिलेक्शन लिस्ट को रद्द कर दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी की जाए।
शिक्षकों की नौकरियों पर संकट
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद बड़ी संख्या में शिक्षक, जो पहले से नौकरी कर रहे थे, अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट स्कोर करता है, तो उसे जनरल कैटेगरी में ही माना जाना चाहिए। इस निर्णय के बाद कई शिक्षकों की नौकरियां संकट में आ गई हैं, जो पहले से इस मेरिट लिस्ट के आधार पर नौकरी कर रहे थे।
शिक्षक भर्ती पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश
पिछले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया था, जिसके चलते यह निर्णय लिया गया। इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता शिवम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं। कोर्ट ने फिलहाल उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित रखा है।
शिक्षक भर्ती में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस शिक्षक भर्ती विवाद पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेजी से आ रही हैं। एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने इस मुद्दे पर कहा कि ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया गया और इस मामले में उनकी पार्टी का स्टैंड साफ है। उनका कहना है कि देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए और आरक्षण को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी इस मामले में योगी सरकार की आलोचना की है। उन्होंने एक खुला पत्र लिखकर दावा किया कि भाजपा सरकार नौकरियां देने के पक्ष में नहीं है। उनके अनुसार, योगी सरकार अभ्यर्थियों को न्याय नहीं देगी और यह सरकार केवल दिखावे की राजनीति करती है।
शिक्षक भर्ती मामले में विपक्ष का दबाव
उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्ष के साथ ही अपने राजनीतिक सहयोगियों से भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक रूप से भी चर्चा में है। एनडीए सहयोगी अपना दल (एस) और समाजवादी पार्टी दोनों ने इस मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
विपक्ष का मानना है कि सरकार द्वारा इस तरह के फैसले शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय हैं। यह मुद्दा आगामी चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनता इस फैसले के प्रति बहुत जागरूक है।
शिक्षक भर्ती मामलें पर 23 सितंबर की सुनवाई
इस मामले में अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए तैयार हैं और सभी पक्षों से लिखित दलीलें मांगी गई हैं। इस फैसले का शिक्षकों की नौकरियों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जो फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति में हैं।
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अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय लेता है और 69 हजार शिक्षक भर्ती का यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश 69 हजार शिक्षक भर्ती मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिक्षकों की नौकरियों पर सीधा असर पड़ेगा। सभी की नजरें अब 23 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अंतिम निर्णय करेगा।