भिंड Bhind में रेस्क्यू के दौरान दो जवानों के शव बरामद, घटनास्थल पर ग्रामीणों का आक्रोश
भिंड Bhind जिले के कचोंगरा गांव में कुंवारी नदी के चेक डैम पर रेस्क्यू के दौरान हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। इस घटना में नदी में फंसे व्यक्ति को बचाने के प्रयास में नाव पलट गई, जिसमें दो जवान बहे गए थे। अब, 23 घंटे की लंबी खोजबीन के बाद इन दोनों जवानों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
घटना के बाद से गांव में माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों ने रेस्क्यू टीम और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस हंगामे के दौरान होमगार्ड के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट उमेश शर्मा के साथ भी मारपीट की गई।
Bhind दुर्घटना का क्रम
यह हादसा बुधवार शाम को हुआ, जब कचोंगरा गांव में कुंवारी नदी के चेक डैम Bhind पर एक गाय फंस गई। गाय का मालिक विजय सिंह राजावत उसे बचाने के लिए पानी में उतरा, लेकिन खुद फंस गया और डूबने से उसकी मौत हो गई। विजय को बचाने के प्रयास में उसका भाई सुनील भी नदी में कूद गया, लेकिन वह भी तेज बहाव में फंस गया।
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जब गांव के कुछ लोग सुनील को बचाने के लिए नदी में उतरे, तो वे भी पानी के तेज बहाव में फंस गए। इसके बाद घटना की सूचना एसडीईआरएफ (SDERF) को दी गई। जवानों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को तो सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन इस दौरान रेस्क्यू टीम की नाव पलट गई, जिसमें प्रवीण कुशवाहा और हरिदास चौहान नाम के दो जवान बह गए।
Bhind में जवानों के शव मिले
लगातार 23 घंटे की खोजबीन के बाद जवानों के शव बरामद किए गए। हरिदास चौहान का शव घटनास्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर कनावर के नजदीक मिला, जबकि प्रवीण कुशवाहा का शव श्योडा गांव से बरामद हुआ, जो कि कनावर से तीन किलोमीटर आगे है।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में ग्वालियर से आई एनडीआरएफ (NDRF) की टीम भी शामिल थी, जिन्होंने नदी के दोनों किनारों और 5 किलोमीटर के दायरे में तलाशी अभियान चलाया। करीब 40 से अधिक जवान इस तलाशी में जुटे थे।
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Bhind में ग्रामीणों का आक्रोश और हंगामा
जवानों के शव न मिलने पर गांव वालों में आक्रोश बढ़ता गया। 22 घंटे के इंतजार के बाद, ग्रामीणों ने होमगार्ड के Bhind डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट उमेश शर्मा के साथ मारपीट की। गुस्साए ग्रामीणों ने शर्मा पर गोताखोरों की ड्यूटी पैसे लेकर लगाने और रेस्क्यू में लापरवाही का आरोप लगाया।
इस बात को एसडीईआरएफ (sderf) के जवान राहुल शर्मा ने गलत ठहराया। हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने गांव वालों को खदेड़ा। इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने गांव के बाहर बैरिकेड्स लगाकर चक्काजाम कर दिया। इस घटना से पहले नदी का जलस्तर करीब ढाई फीट कम हो चुका था और पानी का बहाव भी धीमा हो गया था।
Bhind में रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जवानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जवानों ने रस्सियों के सहारे जाल बनाया ताकि नाव पलटे नहीं। तीन बोट के साथ 40 जवानों ने नदी के पांच किलोमीटर के दायरे में तलाश की। किनारों के बीच पांच जगह रस्सियां बांधी गईं ताकि बोट सुरक्षित रहे।
इस दौरान, जवानों ने पहले उस बोट को निकाला जो भंवर में फंस गई थी। दिलीप वाल्मीकि नामक व्यक्ति, जो बोट में सवार था, ने बताया कि जब बोट नदी के बीच में पहुंची तो भंवर में फंस गई और उसका इंजन बंद हो गया। डूबने से बचने के लिए सभी लोग नदी में कूदे, लेकिन तेज बहाव में फंस गए। जैसे-तैसे वे वापस बोट पर पहुंचे, लेकिन इस बीच प्रवीण कुशवाहा और हरिदास चौहान तेज बहाव में बह गए।
प्रशासनिक कार्रवाई और जांच
Bhind में इस दुखद घटना के बाद, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से फोन पर बात कर पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द आर्थिक मदद देने के निर्देश दिए। लहार विधायक अंबरीश शर्मा ने भी घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित करने के आदेश दिए।
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घटना की व्यापक प्रतिक्रिया
इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। रेस्क्यू टीम की नाव पलटने की घटना ने सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आक्रोश इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
जवानों के परिवारों को इस दुख की घड़ी में सांत्वना देना कठिन है, लेकिन उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। सरकार और प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि ऐसी घटनाओं से सीख लेते हुए भविष्य में सुरक्षा इंतजामों को और सुदृढ़ किया जाएगा।