MP के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने पत्नी से प्रताड़ना, रेप केस में HC के फैसले को दी चुनौती
मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है, जिसमें मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें सिंघार को उनकी पत्नी से रेप के मामले में राहत दी गई थी।

उमंग सिंघार की पत्नी से प्रताड़ना,रेप केस में बढ़ सकती है मुश्किलें
क्या है पूरा मामला?
- उमंग सिंघार की पत्नी ने 2022 में नौगांव थाने (धार) में प्रताड़ना और रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी।
- सिंघार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोपों को गलत बताया।
- 21 सितंबर 2023 को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी के साथ रेप का आरोप साबित नहीं हुआ और एफआईआर रद्द कर दी।
- अब मध्यप्रदेश सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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इसके साथ ही, अदालत ने उन्हें राहत देते हुए उमंग सिंघार के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर रद्द कर दी थी। अब मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर आने वाले दिनों में सुनवाई कर सकता है, हालांकि सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें वैवाहिक और लिव-इन-रिलेशनशिप में टकराव के बाद रेप की रिपोर्ट दर्ज करवाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने को लेकर टिप्पणी की गई थी। जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने इस तर्क से सहमत होते हुए माना कि सिंघार और शिकायतकर्ता महिला के बीच पति-पत्नी के रिश्ते हैं।
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हाईकोर्ट में उमंग सिंघार के खिलाफ दो बिन्दुओं को लेकर सुनवाई हुई थी। पहला ये कि वो पहले से शादीशुदा हैं। दूसरा उन्होंने शादी का झांसा देकर बलात्कार और अप्राकृतिक कृत्य किया। हाईकोर्ट में सिंघार की ओर से बताया गया कि, वे आदिवासी समाज के हैं। तीन शादी करने की उन्हें छूट है। वैवाहिक जीवन के दौरान आपसी सहमति से उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए थे। विवाद होने पर पूर्व में भी उनकी पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी।

उमंग सिंघार की पत्नी से प्रताड़ना,रेप केस में बढ़ सकती है मुश्किलें
इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में भी एक प्रकरण लंबित है। उस पर निर्णय आने से पहले जबलपुर हाईकोर्ट का ये आदेश एक बड़ी नजीर के रूप में देखा जा रहा है। हाईकोर्ट ने 24 बिन्दुओं पर अपना निर्णय दिया है। वकील विभोर खंडेलवाल के मुताबिक हाईकोर्ट का ये निर्णय ऐतिहासिक है। पूरे देश में इस फैसले को नजीर के तौर पर माना जा रहा है। पत्नी की झूठी शिकायत से पीड़ित पुरुषों को इस निर्णय के आधार पर राहत मिल सकती है।
आईपीसी की धारा 375 के आधार पर मिली राहत
आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि ‘एक पुरुष द्वारा दूसरी महिला के साथ’ और ‘एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ’ यौन संबंध या यौन कृत्य के बीच स्पष्ट अंतर है। इसमें पहले को अपराध और दूसरे को अपराध नहीं माना गया है।
उमंग सिंघार के पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी को अवैध बताया गया था। इसी आधार पर अप्राकृतिक कृत्य को अपराध बताया जा रहा था। कोर्ट ने आदिवासी समाज में तीन शादियों की परंपरा को स्वीकार किया।
पुलिस ने इस मामले में उमंग सिंघार के खिलाफ धारा 377, 498 ए सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था। पत्नी ने जबलपुर में मामले की शिकायत की थी। इसके बाद केस वहां से धार ट्रांसफर हुआ था।
आदिवासी विधायक उमंग सिंघार MP की पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में वन मंत्री रहे हैं और वर्तमान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। पुलिस से बचने के लिए उमंग लगातार भाग रहे थे। उन्होंने एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट इंदौर में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने जबलपुर की मुख्य पीठ में प्रकरण लगाया था।
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