दिहुली नरसंहार .44 साल बाद पीड़ित परिवारों को मिला इंसाफ
मंगलवार को मैनपुरी के बहुचर्चित दिहुली नरसंहार मामले में विशेष डकैती अदालत (ADJ इंद्रा सिंह) ने फैसला सुनाया। इस हत्याकांड में दोषी पाए गए कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को फांसी की सजा सुनाई गई। अदालत ने तीनों पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
11 मार्च को स्पेशल जज ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया था। इस दिहुली नरसंहार-3 डकैतों को 44 साल बाद फांसी,24 लोगों का किया था केस में 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी अब भी फरार है।

दिहुली नरसंहार-3 डकैतों को 44 साल बाद फांसी,24 लोगों का किया था
क्या था दिहुली नरसंहार ?
✔ 18 नवंबर 1981 की शाम, डकैत राधेश्याम उर्फ राधे और संतोष उर्फ संतोषा के गिरोह ने दिहुली गांव में हमला किया।
✔ मुखबिरी के शक में अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 24 दलितों की निर्मम हत्या कर दी।
✔ मारे गए लोगों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे।
✔ घटना के बाद डकैतों ने गांव में लूटपाट भी की।
✔ अगले दिन, 19 नवंबर 1981 को दिहुली निवासी लायक सिंह ने थाना जसराना में केस दर्ज कराया।
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देशभर में गूंजा था दिहुली नरसंहार हत्याकांड
इस नरसंहार ने तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकार को हिला कर रख दिया था।
इंदिरा गांधी (तत्कालीन प्रधानमंत्री), बीपी सिंह (गृहमंत्री), नारायण दत्त तिवारी (तत्कालीन मुख्यमंत्री) और अटल बिहारी वाजपेयी (विपक्षी नेता) पीड़ितों से मिलने गांव पहुंचे थे।

दिहुली नरसंहार-3 डकैतों को 44 साल बाद फांसी,24 लोगों का किया था
✔ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांव का दौरा किया था और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
✔ यह मामला मैनपुरी से इलाहाबाद तक विभिन्न अदालतों में चला।
✔ 19 अक्टूबर 2024 को केस को फिर से मैनपुरी सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किया गया, जहां स्पेशल डकैती कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।
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फैसला सुनते ही रो पड़े दोषी
वकील रोहित शुक्ला ने बताया कि इस हत्याकांड के पीछे मुखबिरी और गवाही का मामला सामने आया था। नाराज डकैतों ने बदले की भावना से गांव पर हमला बोला था।
✔ 1983 में इस केस की चार्जशीट दाखिल की गई थी।
✔ डकैत कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को अदालत में लाया गया, जहां उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।
✔ फैसला सुनते ही तीनों दोषी रोने लगे।
✔ आरोपी कप्तान सिंह ने दावा किया कि उसे झूठा फंसाया गया है।
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इन 24 लोगों की हुई थी हत्या
- रामदुलारी
- श्रृंगारवती
- शांति
- राजेंद्री
- राजेश
- रामसेवक
- ज्वाला प्रसाद
- रामप्रसाद
- शिवदयाल
- मुनेश
- भरत सिंह
- दाताराम
- लीलाधर
- मानिकचंद्र
- भूरे
- शीला
- मुकेश
- धनदेवी
- गंगा सिंह
- गजाधर
- प्रीतम सिंह
- आशा देवी
- लालाराम
- गीतम
क्या कहते हैं पीड़ित परिवार?
✔ 44 साल बाद आए इस फैसले से पीड़ित परिवारों में संतोष है।
✔ परिजन आरोपियों को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे थे, जो अब पूरी हुई।
✔ परिवारों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उन्हें देर से ही सही, लेकिन न्याय मिला।
न्याय मिलने में बहुत देरी हुई मीना देवी ने बताया दिहुली नरसंहार-3 डकैतों को 44 साल बाद फांसी,24 लोगों का किया था के दौरान उनके परिवार के लीलाधर और गीतम सिंह की मौत हुई थी। फैसला आया तो है, लेकिन अब तो आंसू भी सूख चुके हैं।
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मीना कहती हैं- गांव में आए 24 लोगों ने तांडव मचाया था। 24 में से 21 आरोपियों की तो मौत भी हो चुकी है। जिनमें दोनों प्रमुख आरोपी राधे और संतोषा भी हैं।
90 वर्ष की जय देवी का कहना है कि अपने परिवार के लोगों के खोने का दर्द अभी भी नहीं भूल पाए हैं, न्याय मिलने में बहुत देरी हुई है। उन्होंने हमलावरों से छिपकर अपनी जान बचाई थी।
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