भोपाल के रिश्वत के आरोपी Ti जितेंद्र गढ़वाल सहित तीन पुलिसकर्मियों पर आरोपियों को बचाने के लिए 5 लाख रुपए रिश्वत लेने का मामला सामने आया
भोपाल के ऐशबाग थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल सहित तीन पुलिसकर्मियों पर 5 मार्च को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेने का मामला सामने आया था। आरोप था कि उन्होंने तीन आरोपियों को बचाने के लिए रिश्वत ली थी। इस मामले में जिला अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद टीआई जितेंद्र गढ़वाल ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सोमवार को जस्टिस मनिंदर एस भट्टी ने इस मामले में टीआई जितेंद्र गढ़वाल को अग्रिम जमानत दे दी, हालांकि अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में रिश्वत की रकम एएसआई पवन रघुवंशी के पास से बरामद की गई थी, जिसे अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि टीआई जितेंद्र गढ़वाल के खिलाफ आरोप एएसआई पवन रघुवंशी के बयान पर आधारित हैं। पवन के मेमोरेंडम के आधार पर जितेंद्र गढ़वाल का नाम सामने आया था, लेकिन वह प्रत्यक्ष रूप से रिश्वत लेते हुए नहीं पकड़े गए। इस आधार पर कोर्ट ने अग्रिम जमानत को मंजूरी दे दी।

रिश्वत के आरोपी Ti की अग्रिम जमानत मंजूर-highcourt
इस मामले में मुख्य आरोपी एएसआई पवन रघुवंशी, पार्षद अंशुल जैन, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र और फर्जी कॉल सेंटर का मास्टरमाइंड अफजल खान का साला मोइन खान अभी भी फरार हैं। वहीं, मास्टरमाइंड अफजल खान पहले से ही जेल में बंद है।
टीआई की ओर से क्या तर्क दिया गया?
रिश्वत के आरोपी टीआई जितेंद्र गढ़वाल की ओर से वकील पांखुड़ी विश्वकर्मा ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि एएसआई पवन रघुवंशी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था और उसके पास से 4 लाख 95 हजार रुपए बरामद किए गए थे। उसने कहा था कि टीआई जितेंद्र गढ़वाल ने उसे रिश्वत लेने के लिए कहा था, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
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याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि टीआई ने डीसीपी भोपाल को एएसआई पवन रघुवंशी की कार्यशैली को लेकर पहले ही शिकायत पत्र दिया था। जिसमें कहा गया था कि वह अपनी ड्यूटी निष्ठापूर्वक नहीं कर रहा है और अवैध लेन-देन में शामिल है। इस शिकायत के कारण ही उन्हें फंसाया गया है
रिश्वत के आरोपी एएसआई पवन रघुवंशी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब रिश्वत की रकम उसी के पास से बरामद हुई थी तो अब तक उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
पुलिस विभाग का कहना है कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित की गई हैं और जल्द ही उन्हें हिरासत में लिया जाएगा। हालांकि, इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने कई बार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है, लेकिन इस मामले में अब तक रिश्वत के आरोपी की जांच और गिरफ्तारी की धीमी प्रक्रिया से जनता में निराशा है। आमतौर पर जब किसी आम नागरिक पर आरोप लगते हैं तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है, लेकिन जब खुद पुलिसकर्मी शामिल होते हैं, तो जांच में देरी क्यों होती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और रिश्वत के आरोपी दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए, ताकि जनता का विश्वास न्याय व्यवस्था पर बना रहे।
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