शीतकालीन सत्र का 20 दिसंबर को आखिरी दिन, पेश नहीं होगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल (One Nation One Election Bill) -लोकसभा की रिवाइज्ड लिस्ट से हटाया
भारतीय संसद में सोमवार, 16 दिसंबर को ‘वन नेशन वन इलेक्शनन’ बिल (One Nation One Election Bill) पेश नहीं किया जाएगा। इससे जुड़े दोनों बिल को लोकसभा की रिवाइज्ड लिस्ट से हटा दिया गया है। पहले यह घोषणा की गई थी कि यह बिल सोमवार को पेश किया जाएगा, लेकिन अब फाइनेंशियल बिजनेस के पूरा होने के बाद इसे सदन में लाने की बात कही जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार आखिरी समय में स्पीकर की अनुमति से इसे सदन में पेश कर सकती है।
कैबिनेट ने 12 दिसंबर को इस बिल को मंजूरी दी थी। इससे पहले 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राजनाथ सिंह ने अपनी राय रखी। अब 16 और 17 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होगी।
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कमेटी रिपोर्ट और सिफारिशें: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election Bill) पर विचार के लिए 2 सितंबर 2023 को एक हाईलेवल कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने 191 दिनों में 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी।
संविधान संशोधन के प्रमुख बिंदु:
- अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा ताकि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें।
- अनुच्छेद 83, 172 और 327 में संशोधन किया जाएगा।
- लोकसभा या राज्य विधानसभा भंग होने पर बचे हुए कार्यकाल के लिए ही चुनाव होंगे।
बिल के उद्देश्यों और कारणों में: यह बिल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। कोविंद कमेटी ने लोकसभा, विधानसभा और लोकल बॉडीज के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है।
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कोविंद कमेटी की 5 प्रमुख सिफारिशें:
- सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए।
- हंग असेंबली या नो कॉन्फिडेंस मोशन की स्थिति में बचे कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जाएं।
- लोकसभा-विधानसभा चुनाव पहले फेज में और लोकल बॉडीज इलेक्शन 100 दिनों के भीतर दूसरे फेज में कराए जाएं।
- सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी कार्ड तैयार किए जाएं।
- चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग हो।
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एक देश-एक चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election Bill) का इतिहास:
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election Bill) हुए थे। लेकिन 1968 और 1969 में विधानसभाएं समय से पहले भंग होने के कारण यह परंपरा टूट गई। इसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। तब से लेकर अब तक अलग-अलग समय पर चुनाव होते आ रहे हैं।
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