मंत्रियों को अब जिलों में रात्रि विश्राम अनिवार्य,अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन चौथाई बहुमत जरूरी..
अब प्रदेश के सभी मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों में रात्रि विश्राम करना अनिवार्य होगा। मंत्रियों को यह विकल्प दिया गया है कि वे जिला मुख्यालय, जनपद या ग्रामीण क्षेत्र में कहीं भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं।
कैबिनेट की बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया है कि नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए अब दो तिहाई के बजाय तीन चौथाई बहुमत की जरूरत होगी। यह प्रावधान नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए लागू होगा।
मंगलवार को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई इस कैबिनेट बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि उन संभागीय मुख्यालयों में जहां अभी तक ईओडब्ल्यू के पुलिस अधीक्षक कार्यालय नहीं हैं, वहां जल्द ही दफ्तर खोले जाएंगे। इन दफ्तरों में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
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बैठक के बाद डिप्टी सीएम और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि तबादलों को लेकर किसी प्रकार की चर्चा नहीं हुई और न ही इसे एजेंडा में शामिल किया गया था।
बैठक में नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को भी बढ़ाकर 2 साल की बजाय 3 साल किया गया है। साथ ही, महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जिलों में महिला सशक्तिकरण केंद्र खोले जाएंगे और इसके लिए राज्य एवं जिला स्तर पर 364 पदों की भर्ती की जाएगी।
2 की बजाय 3 साल में अविश्वास प्रस्ताव
बैठक में नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 2 साल की बजाय 3 साल की अवधि तय करने करने में लिया है। यह भी तय हुआ है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो तिहाई के बजाय तीन चौथाई बहुमत की जरूरत होगी। इसके बाद ही अविश्वास प्रस्ताव मंजूर किया जा सकेगा।
इसके अलावा, प्रदेश के सभी जिलों में महिला सशक्तिकरण केंद्र बनाए जाएंगे और इसके लिए राज्य और जिला स्तर पर 364 पदों की भर्ती की जाएगी।
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