यहां तालाब में तैरते हुए रावण का होता है दहन..

यहां तालाब में तैरते हुए रावण का होता है दहन..

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दुर्ग. राक्षसों के जमीन अथवा आसमान में नहीं मरने जैसे चतुराई वाले वरदानों के किस्से तो आपने सुना होगा, लेकिन सिरसिदा के ग्रामीणों ने रावण दहन में इसे साकार रूप में उतार लिया है। यहां दशहरा पर जमीन अथवा आसमान में नहीं बल्कि तालाब के बीचोबीच तैरते हुए रावण का दहन किया जाता है। रावण दहन के दौरान तालाब के बीच आकर्षक आतिशबाजी भी होती है। तब गांव के कुछ लोगों की अलग करने का जुनून अब यहां तालाब के बीच रावण दहन की परंपरा के रूप में आगे बढ़ रही है।

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24 साल से जल रहा 40 फीट का पुतला
सिरसिदा के सरपंच खेमलाल चंद्राकर ने बताया कि कुल अलग करने के जुनून में वर्ष 1994 में पहली बार तालाब के बीच रावण का पुतला खड़ा कर जलाया गया। इसे लोगों ने इतना पसंद किया कि अब यह गांव की परंपरा के रूप में शामिल हो गया है। चंद्राकर ने बताया कि शुरुआत के कुछ सालों को छोड़कर हर साल 35 से 40 फीट का पुतला जलाया जाता है।

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ऐसे हुई तालाब में रावण दहन की शुरूआत
खेमलाल चंद्राकर ने बताया कि तब शिक्षक सीपी चंद्राकर और स्वास्थ्य कर्मचारी जीआर शर्मा ने साइकिल के ट्यूब पर पानी के भीतर वजन लटकाकर 10 फीट के खंभे को बैलेंस करने का जुगत तैयार किया। यह खंभा तालाब में कई दिनों तक तैरता रहा। इससे प्रेरित होकर साइकिल की ट्रेक्टर के चार ट्यूब के सहारे रावण का पुतला खड़ाकर तालाब में छोड़ दिया गया। यह प्रयोग सफल रहा। तब से तालाब के बीच में पुतला दहन किया जा रहा है।

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बारूद के रॉकेट से भेदते है रावण की नाभि राम चंद्राकर ने बताया कि रावण दहन के से पहले तालाब के किनारे राम लीला किया जाता है। इसके लिए 12 पिल्हरों पर दो मंजिला मंच तैयार किया गया है। दूसरे मंजिल से भगवान राम की भूमिका निभा रहे पात्र बारूद के रॉकेट से रावण के पुतले के नाभि को भेदते हैं। नाभि में पेट्रोल भरा होता है, इससे पुतला आसानी से जलने लगता है। इस दौरान पुतले के आसपास लगाए गए पटाखे व लाइट भी जलने शुरू हो जाते हैं।

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मौसम ने दिया धोखा तो मशाल से जलाया रावण चंद्राकर ने बताया कि 24 सालों में 2 बार विपरीत मौसम व बारिश के कारण रावण का पुतला बारूद के रॉकेट के सहारे नहीं जलाया जा सका। वर्ष 2002 व 2014 में ऐसी में स्थिति में तालाब में उतरकर मशालों के सहारे पुतला दहन किया गया। चंद्राकर ने बताया कि तालाब में पुतला खड़ा करने को लेकर अब तक कभी भी परेशानी नहीं हुई है। केवल कई दिनों पहले से इसकी तैयारी करनी पड़ती है।

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