बिना वैक्सीन कोरोनावायरस से लड़ रही दुनिया के लिए अभी इम्यूनिटी और एंटीबॉडीज ही उम्मीद की किरण हैं। लेकिन, कई हफ्तों से ‘हर्ड इम्यूनिटी’ पाने के नाम पर बहस चल रही है। मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इस बहस में कूद पड़ा। उसने सामूहिक प्रतिरोधकता के इस नए विचार या अवधारणा को खतरनाक बताया।
दरअसल, हर्ड इम्यूनिटी एक पेचीदा गणितीय सोच है। कुछ वैज्ञानिक इसे कोरोना नियंत्रण के लिए सही भी मान रहे हैं। इसीलिए, डब्लूएचओ को दखल देना पड़ा।
क्या है डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
- विश्व स्वास्थ्य संगठन में हेल्थ इमरजेंसी डायरेक्टर डॉ माइकल रेयान ने दुनिया की सरकारों की उस सोच की भी आलोचना की है जिसमें वे लॉकडाउन में मर्जी से छूट और बेहद हल्के प्रतिबंध लगाकर यह सोच रहे हैं कि अचानक से उनके देशवासी “जादुई इम्यूनिटी” प्राप्त कर लेंगे। सबसे अमीर मंदिर तिरुपति बालाजी में आर्थिक संकट
डॉ. रेयान ने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘यह सोचना गलत था और आज भी है कि कोई भी देश कोविड-19 के लिए अपनी आबादी पर कोई “जादू” चलाकर उसमें इम्यूनिटी भर देगा। इंसान जानवरों के झुंड नहीं हैं। हर्ड इम्यूनिटी की बात तब करते हैं, जब यह देखना होता है कि किसी आबादी में कितने लोगों को वैक्सीन की जरूरत है।’ https://www.instagram.com/p/CAIabOVBO2G/?igshid=lwaf0v1kq3q1
यह एक बहुत ही खतरनाक अंकगणित होगा। इससे लोग, उनका जीवन और उनकी पीड़ा का समीकरण उलझ जाएगा। जिम्मेदार सदस्य देशों को हर एक इंसान को महत्व देना चाहिए। कोरोना बेहद गंभीर बीमारी है। यह दुश्मन नंबर एक है। हम इसी बात को बार-बार कह रहे हैं।’ https://youtu.be/O3VqVKva5zA