मथुरा के तहसील छाता इलाके के गांव शेरनगर में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से गेहूं की फसल बोई गई थी. सोमवार को जहां इसे कुर्क करने पुलिस पहुंची तो अच्छा खासा हंगामा खड़ा हो गया. पुलिस के सामने दो युवतियों ने अपने ऊपर केरोसिन डालकर फसल काटने का विरोध किया. बाद में पुलिस उन्हें पकड़कर थाने ले आई.
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खेत में ही अपने ऊपर डाल लिया कैरोसीन
गांव शेरनगर में 30 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर बोई फसल को पुलिस प्रशासन सोमवार की दोपहर को गेहूं काटने की मशीन लेकर गई थी. पत्नी हंसराज, ममता पुत्री ओमपाल, आदि लोग खेत पर पहुंच गए. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया. पुलिस ने फसल को अवैध बताते हुए गेंहू कटाई के लिए आगे बढ़ी. इस बीच दो युवतियों ने बीच खेत में पहुंचकर अपने ऊपर केरोसिन डाल लिया और फसल न काटने की चेतावनी दी, जिसके बाद पुलिस महिलाओं की ओर दौड़ पड़े, एसडीएम, सीओ मौके पर पहुंच गए.
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19 एकड़ जमीन पर किसान का दावा
पीड़ित किसान ने बताया कि, 19 एकड़ जमीन पर हमारा पट्टा है, और हमारा केस न्यायालय में अभी विचाराधीन चल रहा है. उसके बावजूद भी प्रशासन हमारी खड़ी गेहूं की फसल को काटने के लिए पहुंच गया. हमारे परिवार के लोगों ने फसल काटने का विरोध किया तो उन्हें गाड़ी में बिठा कर थाने ले गए. कुछ राजनीतिक लोगों के दबाव में हमारी खड़ी फसल को काटा जा रहा है.
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कार्रवाई पर उठे सवाल
प्रशासन की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, कि जब जमीन पर किसान का पट्टा नहीं था ,तो उसने फसल कैसे बोई? इलाके के राजस्व अधिकारी इतने समय तक क्या कर रहे थे, क्या पूरे मामले में सांठगांठ राजस्व अधिकारियों की भी थी.
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गेहूं की फसल करीब तीन माह में पक कर तैयार होती है. क्या 3 माह तक किसी भी अधिकारी को उस फसल के बारे में जानकारी नहीं थी? किसान की फसल तैयार हुई तो प्रशासन की कंपास उसे काटने के लिए पहुंच गई. 30 एकड़ भूमि में किसान द्वारा लगाई लागत का क्या होगा, किसान तो पूरी तरह भुखमरी के कगार पर पहुंच गया.
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इस प्रकरण में एसडीएम साहब कहते हैं कि, किसान गलतफहमी का शिकार हो गया. साहब यह शिकार तो आपके अधिकारी ही उसे कर रहे हैं. संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, जो इतने समय तक कुम्भकर्ण की नींद में सोए हुए थे.