ग्राम पंचायतों में विजेता महिलाएं के देवर, पिता और पतियों को दिलाई शपथ
मध्यप्रदेश में चुनाव महिलाएं जीतीं शपथ देवर, पिता और पतियों को.. हमारे देश में जहां एक ओर सभी महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया जाता है ना सिर्फ राजनीति बल्कि हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं उनकी बराबरी की भागीदारी के दावे किए जाते है लेकिन हमारे आसपास से ही कई बार ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं जो इन सभी दावों पर सवालिया निशान लगा देती है
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सरकार ने पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण दिया था जिसके परिणाम स्वरूप महिलाएं विभिन्न क्षेत्र से पंच-सरपंच,जनपद और जिला पंचायतों में विजेता बनकर सामने आए इनमें से ज्यादातर सिर्फ नाम के लिए। क्योंकि पंचायत चुनाव में जीतकर आईं महिलाओं की जगह पर उनके परिजन शपथ ले रहे हैं। प्रदेश के कई इलाकों से ऐसी तस्वीरें सामने आई है। ऐसे में उन जिम्मेदार अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे है। जो संविधान की भावना के विपरित ऐसे लोगों को शपथ दिला रहे हैं, जो चुनकर नहीं आए, बल्कि चुने गए जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार हैं।
मामला 1 : सागर जिले की जैसीनगर ग्राम पंचायत में 20 वार्ड हैं। 10 वार्डों से महिला पंच चुनकर आई हैं, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ 3 महिला पंच ही शामिल हुईं। शेष महिला पंचों की जगह पर उनके पति, पिता और देवर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए ग्राम पंचायत पहुंचे। जिम्मेदार अधिकारियों ने महिला पंच के प्रतिनिधियों के तौर पर उन्हें शपथ भी दिला दी। जबकि पंचायत अधिनियम में यह नियम विरुद्ध है। ग्राम पंचायत सचिव आशाराम साहू का कहना है कि यह पहला सम्मेलन था। इसमें कोई परेशानी ना हो इसलिए महिला पंचों के प्रतिनिधियों को शपथ दिला दी गई
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मामला 2 : सागर की ही ग्राम पंचायत मूड़रा जरुआखेड़ा के 20 में से 10 वार्डों में महिला पंच चुनकर आई हैं, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में एक भी नवनिर्वाचित महिला पंच शामिल नहीं हुई। उनकी जगह उनके परिजनों को शपथ दिलाई गई। यहां सह सचिव जयकुमार सोनी ने शपथ पढ़ी और पंच महिलाओं के प्रतिनिधियों ने उसे दोहराया। वार्ड 19 की पंच शीलाबाई के पति हरदास अहिरवार, वार्ड 18 कमलरानी के पति बेनीप्रसाद चढ़ार, वार्ड 17 सपना के पति मुकेश सेन और वार्ड 11 से पंच दुर्गाबाई के पति श्रीराम सैनी ने शपथ ली।
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मामला 3: दमोह में हटा जनपद क्षेत्र में आने वाले गैसाबाद ग्राम पंचायत में सचिव धुन सिंह ने निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की जगह उनके पतियों को शपथ दिला दी। पंचायत में 20 सदस्य है, इनमें 11 महिलाएं और 9 पुरुष पंच पद पर चुने गए हैं। समारोह में एक भी निर्वाचित महिला नहीं पहुंची। अनुसूचित जाति वर्ग से ललिता अहिरवार सरपंच बनीं है, लेकिन इनकी जगह पति विनोद अहिरवार ने शपथ ली। पंचायत सचिव के इस कारनामे का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस मामले में कलेक्टर ने भी संज्ञान लिया है।
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हरदा में सरपंच ने शिक्षित युवा को बनाया प्रतिनिधि
हरदा जिले की हंडिया ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच ने अपनी सरपंची एक युवा को सौंप दी है। इस प्रक्रिया को सरपंच ने 50 रुपए का स्टाम्प लिखकर पंचायत के काम करने के लिए नियुक्त किया है। सरपंच लखन का कहना है कि मैं अशिक्षित हूं, केवल अपना नाम लखन ही लिख सकता हैं। परिजनों को भी पढ़ना-लिखना नहीं आता। गांव के सिद्धांत तिवारी युवा है और शिक्षित भी है। सिद्धांत पंचायत के काम को अच्छे से कर सकते हैं। इसलिए उन्हें नियुक्त किया है। इधर, गांव के सचिव कैलाश योगी का कहना है कि पंचायती राज अधिनियम में कहीं भी सरपंच प्रतिनिधि बनाने का उल्लेख नहीं है। हंडिया पंचायत सरपंच का पद एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। सरपंच ने जिसे प्रतिनिधि बनाने की बात कही है, वह सामान्य वर्ग से आते हैं।
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