बुधवार रात जैसे ही घड़ी के कांटों ने 12 बजने का संकेत किया और तारीख बदली, जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बन गया। जम्मू-कश्मीर से अलग होने वाले लद्दाख को भी नए केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिल गया। आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू जम्मू-कश्मीर के तो आरके माथुर लद्दाख के पहले उपराज्यपाल होंगे।
गुरुवार को श्रीनगर में होने वाले कार्यक्रम में मुर्मू और लेह में माथुर पद तथा गोपनीयता की शपथ लेंगे। दोनों को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल शपथ दिलाएंगी। दोनों प्रदेशों के लिए यह ऐतिहासिक पल रहेगा।
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पहली बार हो रहा ऐसा
भारत में केंद्र शासित प्रदेश के राज्य बनने के उदाहरण तो हैं लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई राज्य केंद्र शासित प्रदेश में बदला हो। इसी के साथ भारत में राज्यों की संख्या घटकर 28 हो गई है और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर सात हो गई है।
अमित शाह ने किया था ऐलान
पांच अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370हटाए जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त किए जाने का एलान किया था। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा-पत्र में इसे शामिल किया था। मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के 90 दिन के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया गया।
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ऐसे हैं नए केंद्र शासित प्रदेश
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पुडुचेरी और लद्दाख की चंडीगढ़ की तरह है।
- दोनों को अपने-अपने उपराज्यपाल हैं।
- जम्मू-कश्मीर में पुलिस और कानून-व्यवस्था पर सीधा नियंत्रण केंद्र के पास रहेगा।
- भूमि के मामले वहां की निर्वाचित सरकार देखेगी।
- लद्दाख पर उपराज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का सीधा नियंत्रणरहेगा।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) का जम्मू-कश्मीर कैडर बना रहेगा लेकिन अब इन सेवाओं के लिए नई भर्ती अरुणाचल, गोवा, मिजोरम यूनियन टेरिटरी के तहत होगी।
- उपराज्यपालों की ओर से नया आदेश आने तक प्रांतीय सेवा अधिकारी अपनी मौजूदा स्थिति में सेवाएं देते रहेंगे।
- आईएएस, आईपीएस व अन्य केंद्रीय सेवा अधिकारी व भ्रष्टाचाररोधी ब्यूरो उपराज्यपाल के नियंत्रण में रहेंगे न कि जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार के।
