भोपाल के दो खिलाड़ियों ने भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में पक्के करें अपने पदक

भोपाल के दो खिलाड़ियों ने भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में पक्के करें अपने पदक

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भोपाल के दो खिलाड़ियों ने बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में पक्के करें अपने पदक

बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में दुनिया भर के खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने में जुटे हुए लेकिन खुशी की बात यह है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए भोपाल के दो खिलाड़ियों ने अपने पदक पक्के कर लिए भोपाल की स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(SAI) के झूलों खिलाड़ी के दोनों जूडो खिलाड़ियों ने भारत के लिए मेडल पक्के कर लिए हैं। इंग्लैंड के बर्मिंघम में बुधवार को तूलिका ने सिल्वर मेडल जीता। इससे पहले 1 अगस्त को विजय यादव ने जूडो में कांस्य पदक अपने नाम किया था।

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जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने 78Kg कैटेगरी में लगातार क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबले जीते और फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में विश्व की नंबर-1 खिलाड़ी स्कॉटलैंड की सारा एडलिंग्टन से हार गईं। इससे पहले 1 अगस्त को विजय यादव ने 60Kg में कांस्य पदक अपने नाम किया था। तूलिका मान और विजय यादव पिछले 3 साल से SAI के नेशनल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में जूडो की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

तूलिका मान का सिल्वर मेडल पक्का है।
तूलिका मान का सिल्वर मेडल पक्का है।

गोल्ड के लिए लड़ेंगी तूलिका

24 साल की तूलिका ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया की सिडनी एंड्रयूज को हराया। शुरुआत में वे गेम में पिछड़ रही थीं, लेकिन बाद में कमबैक करते हुए दमदार जीत हासिल की। इससे पहले उन्होंने क्वार्टर फाइनल में मॉरिशस की ट्रेशी डरहोन को हराया। तूलिका पिछले करीब 8 सालों से जूडो खेल रही हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए कोच यशपाल सोलंकी ने उन्हें ट्रेनिंग दी है।

कॉमनवेल्थ गेम्स में नहीं था तूलिका का नाम

तूलिका के अर्जुन अवॉर्डी कोच यशपाल सोलंकी ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स खेलने के लिए जाने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में तूलिका का नाम नहीं था। हमने उसके लिए लड़ाई की। SAI की सिलेक्शन कमेटी ने उनका नाम IOA को भेजा, तब जाकर तूलिका कॉमनवेल्थ खेलने जा पाईं। हमारी मेहनत सफल हो गई।

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पिता की मौत के बाद मां ने निभाई अहम भूमिका

6 फीट लंबी तूलिका मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं। उनकी मां अमृता सिंह दिल्ली पुलिस में ASI हैं। तूलिका जब 2 साल की थीं, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद उनकी मां ने पूरी जिंदगी तूलिका के नाम कर दी। उनके खेल की जर्नी में उनकी मां की अहम भूमिका रही है। इसी वजह से तूलिका अपनी मां का सरनेम लगाती हैं।

बचपन में कुश्ती भी सीखा करते थे

SAI में विजय के जूडो कोच यशपाल सोलंकी बताते हैं कि कांस्य पदक जीतने वाले विजय 12 साल से जूडो सीख रहे हैं। वे बचपन में जूडो के साथ कुश्ती भी सीखा करते थे। 2013 से यशपाल उन्हें जूडो सिखा रहे हैं। कोच उन्हें सेंटर के सबसे मेहनती और लगनशील खिलाड़ियों में से एक बताते हैं। विजय की वेट कैटेगरी में सबसे ज्यादा प्रतियोगिता थी। उन्हें कांस्य पदक जीतने के लिए चार मुकाबले लड़ने पड़े।

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