धार के कारम डैम के निर्माण में हुआ था 304 करोड़ का घोटाला,सरकार ने 18 से ज्यादा गांव को कराया खाली

धार के कारम डैम के निर्माण में हुआ था 304 करोड़ का घोटाला,सरकार ने 18 से ज्यादा गांव को कराया खाली

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कारम डैम के निर्माण में 304 करोड़ के टेंडर में हुई थी गड़बड़ी मार्च में ही सरकार कबूल कर चुकी है घोटाले कि बात

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित धरमपुरी के कारण नदी पर निर्माणाधीन कारम डैम में पानी के रिसाव के बाद सरकार ने लगभग 18 गांव खाली करा लिए फिलहाल यह निर्माणाधीन दिन पानी चर्चा में आपको बता दें इससे पहले डेम निर्माण के टेंडर में गड़बड़ी को लेकर यह पहले भी सुर्खियों में रह चुका है आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट के टेंडर में गड़बड़ी को लेकर ईओडब्ल्यू जांच कर रही है मिली जानकारी के मुताबिक एक सवाल का जवाब देते हुए जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने 10 मार्च 2022 विधानसभा में इस टेंडर के प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ी बात स्वीकारी थी

10 मार्च 2022 को विधानसभा में मंत्री तुलसी सिलावट का जवाब

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कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी टेंडर घोटाले की जांच के संबंध में सवाल पूछे थे जिसमें जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि मोहनपुरा व एवं कारम सिंचाई परियोजना की जांच ईओडब्ल्यू कर रहा है इसमें गड़बड़ी हुई है मिली जानकारी के मुताबिक कारम प्रोजेक्ट टेंडर 1 साल की देरी से हुआ लेकिन 2018 में मप्र में हुए ई-टेंडर घोटाले में यह प्रोजेक्ट भी जांच के दायरे में आ गया था।

आपको बता दें यह प्रोजेक्ट 2 वर्ष के भीतर पूरा होना था लेकिन 5 साल बाद यह प्रोजेक्ट अधूरा है इस परियोजना का भूमि पूजन 4 साल पहले किया गया था और कारम डैम के निर्माण का ठेका दिल्ली की ANS कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. कम्पनी को सौंपा गया था। टेंडर शर्तों के अनुसार 36 महीने में इस डैम का निर्माण कार्य पूरा होना था लेकिन कोरोनावायरस के चलते लगे लॉकडाउन के कारण डेम निर्माण का काम लगभग 2 साल के लिए बंद रहा

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मंत्री ने कार्य करने वाली कंपनी को बताया जिम्मेदार

शिवराज सरकार में मंत्री राजवर्धन सिंह ने टीम के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कहा की कारम डैम का निर्माण पूरा नहीं हो सका था काम अभी भी चल रहा था लेकिन शुरुआती जांच में इसका बड़ा कारण ठेकेदार का समय सीमा पर काम पुरा ना कर पाना बताया मीडिया को संबोधित करते हुए मंत्री ने बताया कि विभाग के इंजीनियरों ने कांट्रेक्टर को कई बार निर्देश दिए थे कि मानसून आने वाला है अपने रिसोर्सेज मोबिलाइज कीजिए काम की रफ्तार को तेज कीजिए लेकिन समय पर निर्माण पूरा होने का अनुमान कंपनी सही तरीके से लगाने में असफल रही जिसके चलते उससे यह गलती हुई मंत्री राजवर्धन सिंह की माने तो कंपनी का यह कार्य अगस्त माह में ही पूरा हो जाना चाहिए था

राज्य कैबिनेट ने 2016 को दी थी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी

सर्वे को सही तरीके से पुरा न करने का लगा आरोप

कोठीदा में सर्वे को लेकर ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने कारम मध्यम सिंचाई परियोजना को लेकर सही तरीके से सर्वे नहीं किया था उस समय किसानों को सिंचाई की सुविधा होने का आश्वासन देकर कारम डैम के निर्माण का कार्य शुरू किया गया था बताया गया था कि कोठीदा का बांध बनने से गुजरी-धामनोद सहित जिले के धरमपुरी, मनावर और खरगोन जिले की महेश्वर तहसील के 42 गांवों में 10500 हेक्टेयर क्षेत्र में दाब युक्त सूक्ष्म प्रणाली से सिंचाई होगी।

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मुख्यमंत्री ने दिए थे जांच के आदेश
इसके टेंडर में गड़बड़ी के आरोप के चलते यह प्रोजेक्ट शुरुआत में ही विवादों से गिर गया था मिली जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में ई टेंडर घोटाला विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2018 में सामने आया था सूत्रों के मुताबिक जल निगम की तीन निविदाओं को खोलने के दौरान कंप्यूटर में एक संदेश पॉपअप हुआ था जिसमें पता चला था निविदाओं में टेंपरिंग की जा रही है जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी

इन 9 ई-टेंडर सॉफ्टवेयर के साथ की छेड़छाड़

मंत्रालय सूत्रों से पता चला कि तकनीकी जांच और साक्ष्यों से पता चला कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में लगभग 3 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट में छेड़छाड़ चल रही इतना ही नहीं इन प्रोजेक्ट में

मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर
लोक निर्माण विभाग के 2
जल संसाधन विभाग के 2
मप्र सड़क विकास निगम का 1

लोक निर्माण विभाग की PIU का 1। कुल 9 निविदाओं के साॅफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई। जिसमें जल संसाधन विभाग की मोहनपुरा और कारम सिंचाई परियोजना इसमें शामिल हैं।

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आठ कंपनियों के संचालकों के खिलाफ केस दर्ज

जिन कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उसमें हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियां- GVPR लिमिटेड, मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनियां- ह्यूम पाइप लिमिटेड, JMC लिमिटेड, बड़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी- सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, माधव इन्फ्रो प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी राजकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालकों, भोपाल स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक शामिल हैं। MPSEDC, मप्र के संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ ही एंट्रेस प्राइवेट लिमिटेड बेंगलूरु और टीसीएस के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हैं।

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