दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल लगभग बनकर है तैयार, PM मोदी करेंगे दीदार, जानें- इसकी खासियतें

    Share this News

    एफिल टावर से भी ऊंची और कुतुब मीनार से दोगुनी ऊंचाई का रेलवे पुल लगभग बनकर तैयार हो गया है. जम्मू कश्मीर बारामुला लिंक रेल प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले चेनाब आर्क का लोअर आर्क सफलतापूर्वक बन चुका है. उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि लोअर आर्क के बाद जल्द ही इस महीने के अंत तक अपर आर्क बनकर तैयार हो जाएगा. इसके बाद जल्द ही इस पुल पर रेलवे ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया जाएगा

    जब रणवीर सिंह को टीचर ने स्कूल से कर दिया था सस्पेंड, वजह बने थे शाहरुख खान

    क्‍या है यह प्रोजेक्‍ट  

    उन्होंने कहा कि 272 किलोमीटर लम्बाई वाले इस रेल लिंक में 161 किलोमीटर बनकर तैयार हो गया है और शेष जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा. मजेदार बात यह है कि इसमें 119 किलोमीटर केवल टनल ही है जिसके माध्यम से रेल ट्रैक गुजरेगी.आशुतोष गंगल ने बताया कि उधमपुर बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट लगभग 272 किलोमीटर का है. उऩ्होंने कहा कि आजादी के बाद भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा. विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन उपयोग इस पुल के निर्माण में देखने को मिला है. इस प्रोजेक्ट में 38 टनल हैं जिसमें सबसे लम्बी टनल की लम्बाई 12.75 किलोमीटर है.

    आज से बैंकों की दो दिन की हड़ताल, जानें-किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?

    चेनाब आर्क की खासियत

    जम्मू कश्मीर बारामूला रेल लिंक पर चेनाब आर्क एक स्पेशल ब्रिज है जिसकी लम्बाई 467 मीटर है. इस पुल की लम्बाई 1315 मीटर है. नदी के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है. एफिल टावर की ऊंचाई 324 औऱ कुतुब मीनार की ऊंचाई 72 मीटर है. इसकी तुलना में यह ब्रिज काफी ऊंची है. इस ब्रिज को बनाने के लिए खास तरह के दो केबल कार को बनाया गया. जिसकी क्षमता 20 और 37 मिट्रिक टन है. 266 किलोमीटर प्रतिघंटे से चल रही हवा की रफ्तार को भी यह पुल आसानी से झेल सकती है.

    हरिद्वार में एक अप्रैल से लगेगा कुंभ मेला, तैयारियों पर सीएम की बैठक आज

    मौसम की मार

    आशुतोष गंगल ने बताया कि इस रेल ब्रिज को बनाने में सबसे बड़ी बाधा विपरीत भौगोलिक स्थिति और मौसम की मार पड़ी. जिस इलाके में यह पुल बनकर तैयार हो रहा है वहां सर्दियों में काफी बर्फबारी होती है. इसके साथ ही भूस्खलन भी यहां एक आम समस्या है. इन सभी समस्याओँ की वजह से पुल बनाने का काम काफी प्रभावित हुआ.

    जब हेलीकॉप्टर से उतारे गए मजदूर

    इस प्रोजेक्ट को बनाने के समय सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि चेनाब नदी के दोनों छोर तक कैसे पहंचा जाए. एक छोर बक्कल औऱ दूसरे छोर कौड़ी की तरफ एप्रोच रोड बनाया गया. जिससे कि आसानी से मजदूरों और जरुरी साजो सामान को पहुंचाया जा सके.