कोर्ट ने सवाल पूछा बालाघाट में अगर बागेश्वरधाम की कथा होती है तो क्या परेशानी है,कोर्ट ने कहा..जिस दिन हमने जेल भेज दिया तो पूरी वकालत भूल जाओगे..
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जेपी उद्दे ने कोर्ट को बताया कि जिस जगह पंडित धीरेंद्र शास्त्री का (बागेश्वरधाम कथा) कार्यक्रम होना है, वहां पर पहले से ही बड़ादेव भगवान स्थान हैं। वह आदिवासियों का आस्था का केंद्र है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि उस स्थान की जगह कहीं और कार्यक्रम करवा दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हो कहा कि यह आप डिसाइड करेंगे कि कहां पर कार्यक्रम होना है और कहां पर नहीं। पहले आप यह बताइए कि उस स्थान की मान्यता क्या है और कैसे इस कार्यक्रम से कुठाराघात होगा।
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वकील ने जस्टिस से कहा कि आप मेरी बात सुनने को ही तैयार नहीं है, जिस पर जस्टिस ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा की आपको कोर्ट में बहस करने का तरीका नहीं मालूम है। आप कब से वकालत कर रहे हैं, जिस पर वकील जीएस उद्दे का कहना था कि 2007-2008 से। कोर्ट ने कहा कि अगर आप इस तरह से बहस करेंगे तो क्या बहुत बड़ी टीआरपी कलेक्ट कर लेंगे। आप भूल जाते हो कि जिस दिन हमने जेल भेज दिया तो पूरी वकालत भूल जाओगे। कोर्ट ने कहा कि जितनी गर्मी आपने अपने केस को लेकर दिखाई है, अगर विनम्रता से कहते तो हम सुन भी लेते, अपने पक्षकार को बताएं कि हमारी गर्मी दिखाने के कारण केस खारिज कर दिया है, अब फिर से केस फाइल करें।
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बागेश्वरधाम की कथा के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया था कि इस तरह की कथा करने से आदिवासी समाज में भेदभाव पैदा हो रहा है और समाज आहत हो रहा है। हाईकोर्ट में यह याचिका बालाघाट सर्व आदिवासी समाज की तरफ से दायर की गई थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने आधारहीन मानते हुए खारिज कर दी।