बदलता मौसम बिगाड़ रहा लोगों की सेहत, लापरवाही बरती तो हो जाएंगे बीमारियों का शिकार

बदलता मौसम बिगाड़ रहा लोगों की सेहत, लापरवाही बरती तो हो जाएंगे बीमारियों का शिकार
बदलता मौसम बिगाड़ रहा लोगों की सेहत, लापरवाही बरती तो हो जाएंगे बीमारियों का शिकार
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बदलता मौसम और लापरवाही बिगाड़ रही है लोगों की सेहत, बीमारियों का शिकार होने का खतरा

बदलता मौसम प्रकृति के अनुकूल बदलते मौसम ने हमारे जीवन में निरंतर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। मौसम का परिवर्तन मानव समुदाय को अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जब तक हम इस बदलते मौसम के प्रभावों को गंभीरता से नहीं लेते, हमारी सेहत पर उचित ध्यान नहीं देते तब तक बीमारियां हमारे शरीर को अपना घर बना लेंगी।

आधुनिक जीवनशैली में लोग अपने स्वास्थ्य को लापरवाही से नजरअंदाज करते रहते हैं। बिजी और तनावपूर्ण जीवनस्तर, अजीबोगरीब खानपान आदि कारणों से वे स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम की अनदेखी करते हैं। मौसम के बदलने पर उनकी लापरवाही का प्रभाव सबसे ज्यादा परेशानीदायक होता है।

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जब मौसम बदलता है, तो वातावरण में परिवर्तन होता है जो हमारे शरीर को प्रभावित करता है। यहां कुछ ऐसी प्रमुख समस्याएं हैं जो बदलते मौसम के कारण हो सकती हैं:

  1. यूवी रेडिएशन: मौसम के बदलने के साथ, सूरज की अधिक तापमान और बढ़ती यूवी रेडिएशन के कारण त्वचा को कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि त्वचा के रंग में परिवर्तन, सूखा और खुजली।
  2. वातावरणिक प्रदूषण: बदलते मौसम के साथ, वातावरणिक प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। यह वायुमंडलीय गैसों, धूल और धुंध सहित विभिन्न जलवायु परिवर्तनों के कारण हो सकता है। वातावरणिक प्रदूषण के कारण अस्थमा, एलर्जी, श्वास नली संक्रमण और अन्य फेफड़ों की समस्याएं हो सकती हैं।
  3. भूमिकंठक विकार: मौसम के परिवर्तन के साथ, बारिश, ठंडी, गर्मी, आदि के कारण मानसिक और शारीरिक बैलेंस पर असर पड़ता है। यह बारिश में भिगने के कारण जोड़ों और हड्डियों में दर्द, बारिश वाले मौसम में मानसिक तनाव और मानसिक विकारों में वृद्धि का कारण बन सकता है।
  4. इन्फेक्शन: मौसम के परिवर्तन के साथ, बैक्टीरिया, वायरस और अन्य कीटाणुओं का प्रभाव भी बढ़ता है। मौसम के बदलने के कारण इन्फेक्शन जैसे कि सर्दी-जुकाम, फ्लू, मलेरिया, डेंगू, और विभिन्न इन्फेक्शनल बीमारियां हो सकती हैं।
  5. आहार और पेय: बदलते मौसम के साथ, आहार और पेय की आदतों में भी परिवर्तन हो सकता है। गर्मी के मौसम में लोग अधिक ठंडे पेय पदार्थ और ताजगी वाले फल-सब्जी खाते हैं, जबकि सर्दियों में उन्हें अधिक गर्म और भारी आहार पसंद होता है। यह आहार और पेय के परिवर्तन शारीरिक प्रभावों को प्रभावित करते हैं और पेट संबंधी समस्याओं, वजन बढ़ने या कम होने, पाचन संबंधी समस्याओं आदि का कारण बन सकते हैं।

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यदि हम इन समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं और इस बदलते मौसम के प्रभावों से अवगत नहीं होते हैं, तो हम बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। सेहत का सचेत रहना और अपनी आदतों, आहार और पेय की देखभाल पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित उपायों को अपनाकर हम इन समस्याओं से बच सकते हैं:

  • नियमित व्यायाम करें और शारीरिक सुचारू रूप से रखें।
  • स्वस्थ आहार लें और पर्याप्त पानी पिएं।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए संभावना हो तो वातावरण की सफाई और पर्यावरण संरक्षण के उपाय अपनाएं।
  • मौसम के अनुकूल कपड़े पहनें और त्वचा की देखभाल करें, जैसे कि उचित सूर्य संरक्षण और मौसम के अनुसार त्वचा की मोइस्चराइज़ करें।
  • नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाएं और उनकी सलाह का पालन करें।

सेहत को लेकर सचेत रहना हमारी जिम्मेदारी है। मौसम के परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, हम आपसी सहयोग और अपनी सेहत की देखभाल पर विशेष ध्यान देकर बीमारियों से बच सकते हैं।

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