नोट छापने वाली प्रेस में चोरी में खुलासा नोट प्रेस में जूतों में भरकर नोटों की चोरी करते रंगे हाथ पकड़ाए अफसर
देश के लिए नोट छापने वाली देवास बैंक नोट प्रेस में जूतों में भरकर नोटों की चोरी करते रंगे हाथ पकड़ाए अफसर मनोहर वर्मा की तीसरी जमानत याचिका भी खारिज हो गई है। इस केस का फैसला एक या दो महीने में आ सकता है। आरोपी चार साल से जमानत के लिए गिड़गिड़ा रहा है। वकीलों के मुताबिक चूंकि वह सरकारी अफसर था और उसके पास ही सुरक्षा का जिम्मा था। लेकिन चोर भी वही निकला, इसलिए उसकी जमानत नहीं हो सकती। पढ़िए हाई सिक्योरिटी जोन में हुई इस हैरान करने वाली चोरी की पूरी कहानी-
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क्लर्क से वरिष्ठ पर्यवेक्षक और फिर चोर बना
- 1984 में क्लर्क के तौर पर काम में लगे वर्मा धीरे-धीरे प्रमोट होकर डिप्टी कंट्रोल ऑफिसर बन गए।
- वे छपे नोटों को जांचने लगे, माइनर मिस्टेक पर भी नोटों को रिजेक्ट कर दिया करते थे
- घर जाते समय इन नोटों को जूते और कपड़ों में छिपाकर घर ले जाया करते थे।
- वरिष्ठ अधिकारी होने के चलते इनकी अन्य कर्मचारियों जैसी चेकिंग नहीं हुआ करती थी।
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तब क्या कार्रवाई हुई
- आरोपी मनोहर वर्मा, निवासी साकेत नगर, गीता भवन को पुलिस ने तब गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तब से ही वह देवास जिला जेल में बंद है।
- तात्कालीन BNP के महाप्रबंधक एमसी वैल्लपा की कार्यप्रणाली को लेकर भी प्रश्न खड़े हुए थे। बाद में उन्हें भी पद से हटा दिया गया था।
- जांच के लिए SIT गठित हुई, जिसमें एडीशनल SP अनिल पाटीदार, CSP तरुणेन्द्र सिंह बघेल, BNP थाना TI उमरावसिंह,नाहर दरवाजा TI अमित सोलंकी, BNP थाना सब इंस्पेक्टर आरके शर्मा, रूपेश वायस्कर सहित एक ASI और एक हेड कांस्टेबल को शामिल किया गया।
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