सूरत से बुर्का, दुपट्टा, शाॅल व ड्रेस मैटेरियल वाया दुबई, ईरान, पाकिस्तान, वाया बांग्लादेश ही कपडा भेजा जाता है।
अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद भले नई सरकार बन गई हो लेकिन सूरत के कपडा व्यापारियों ने हाल अफगान के एजेंटों को उधार पर कपडा देना बंद कर दिया है। सूरत के कपडा व्यापारी सालाना करीब 15 सौ करोड का व्यापार करते हैं,ताजा संकट के चलते उनका 3 सौ करोड रुपया अफगानिस्तान में फंस गया है। अफगानिसतान में तालिबान के सत्ता पर कबजा करने के बाद से जहां भारत सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है वहीं सूरत के कपडा व्यापारी भी वैट एंड वॉच की स्थिति में है।
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फैडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रंगनाथ सारडा बताते हैं कि अफगानिसतान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के साथ ही सूरत के कपडा व्यापारियों ने भी अफगानिसतान के कपडा एजेंटों के साथ व्यापार बंद कर दिया है।
सूरत से बुर्का, दुपट्टा, शाॅॅल व ड्रेस मैटेरियल वाया दुबई, ईरान, पाकिस्तान, वाया बांग्लादेश ही कपडा भेजा जाता है। सूरत के व्यापारी अफगानी एजेंटों के साथ ही सौदा करते हैं सीधे तौर पर कभी माल नहीं भेजते हैं लेकिन फिर भी ताजा संकट के चलते उनका करीब 3 सौ करोड रुपया फंस गया है।
सूरत के व्यापारी सालाना 12 से 15 सौ करोड का व्यापार करते हैं, यह हाल पूरी तरह ठप हो गया है, तालिबानी सरकार का पिछला अनुभव अच्छा नहीं था इसलिए कोई व्यापारी वहां अपना माल नहीं भेजना चाहता है। अमेरिका की ओर से सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद से ही सूरत के व्यापारी सतर्क हो गये थे और अपना पैसा निकालने की कोशिशें शुरु कर दी थी फिर भी करोडों रु अभी अटक गये हैं।
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