सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 20 हजार करोड़ रुपए के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस प्रोजेक्ट के तहत संसद के दोनों सदनों के लिए ज्यादा सदस्यों की क्षमता वाली नई इमारतें बनाई जाएंगी। साथ ही केंद्रीय सचिवालय के लिए 10 नई बिल्डिंग बनेंगी। एडवोकेट राजीव सूरी ने प्रोजेक्ट पर स्टे की मांग की थी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले की सुनवाई की।
सॉलिसिटर जनरल ने पूछा- नए संसद भवन पर किसी को आपत्ति क्यों?
याचिकाकर्ता की दलील थी कि इस प्रोजेक्ट के तहत लैंड यूज में अवैध तरीके से बदलाव किया गया है। जस्टिस बोबडे ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका पहले से पेंडिंग है, इसे दोहराने का कोई मतलब नहीं। स्टे लगाने की जरूरत नहीं है क्योंकि, कोरोना के समय कोई कुछ नहीं करने वाला। सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद की नई इमारत बन रही है तो किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए?
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है।नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा।