अपने विवादित बयानों के चलते हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाली मध्यप्रदेश की पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहे इंजेक्शन रेमडेसिवीर को लेकर बेतुका बयान दिया है। दरअसल, पर्यटन मंत्री ने कहा कि नकली रेमडेसिवीर लगने के बाद भी लोगों की जान बच रही है। यह बात सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं असली रेमडेसिवीर, टोसी की हाई डोज देने के कारण लोगों की मौत तो नहीं हो रही है।
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बता दें, उषा ठाकुर से इंदौर में पत्रकारों ने सवाल किया कि नकली रेमडेसिवीर के चलते कई लोगों की जान चली गई तो उषा ठाकुर ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन की बजाय असली रेमडेसिवीर इंजेक्शन ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि कहीं रेमडेसिवीर इंजेक्शन और टोसी इंजेक्शन की हाई डोज के चलते तो मरीजों की मौत नहीं हो रही।
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पर्यटन मंत्री ने कहा, ‘हाई डोज बहुत तकलीफ दे रहे हैं और मैं अब तक डेढ़ दर्जन के करीब ऐसी मौतें देख चुकी हूं जो रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगने के बाद भी हुईं।’ उन्होंने अपने परिचित किसान संघ के नेता मोहन पांडे का उदाहरण देते हुए कहा कि मोहन को रेमडेसिवीर इंजेक्शन और टोसी लगे, बावजूद इसके उनकी जान नहीं बची। इसके साथ ही ठाकुर ने कहा कि कई लोग ऐसे भी थे जिन्हें नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगे, लेकिन वे ठीक हो गए।
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संजीवनी बूटी नहीं है रेमडेसिवीर
उन्होंने कहा कि रेमडेसिवीर, टोसी संजीवनी बूटी नहीं है। इसका प्रामाणिक इलाज भी नहीं है। नागरिक इसके पीछे ना पड़ें। डॉक्टर तय करेगा कि ये इंजेक्शन देना है या नहीं। बताते चलें कि अभी दो दिन पहले मंत्री उषा ठाकुर ने यज्ञ चिकित्सा की वकालत करते हुए कहा था कि यज्ञ में आहुति डालने से कोरोना की तीसरी लहर नहीं आएगी। बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान भी वे अपने इस बयान पर टिकी रहीं।
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उन्होंने कहा कि तथ्यों के आधार पर मैं प्रमाण दे सकती हूं कि वैदिक पद्धति कितनी कारगर है। स्वस्थ रहने के लिए वैदिक जीवन पद्धति को अपनाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि भारतीय वैदिक जीवन पद्धति को अपनाना जरूरी है। उषा ठाकुर ने कहा, ‘सरकार इसे हर जगह लागू करे, कोई दिक्कत नहीं ये आस्था का विषय है, जाति-धर्म से ना जोड़ें।’