भोपाल: दो दिन बाद शुक्रवार को इंदौर में होने जा रही मैग्निफिसेंट एमपी से पहले निवेश को बढ़ावा देने के लिए तीन नई और चार मौजूदा नीतियों में संशोधन को कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए नई नीति लागू करने का फैसला किया है।
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इसके तहत कॉलोनाइजर के लिए अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए मकान (ईडब्ल्यूएस) बनाने का बंधन खत्म कर दिया है। इसकी जगह आश्रय शुल्क लिया जाएगा। एक प्रदेश-एक लाइसेंस (कॉलोनाइजर रजिस्ट्रेशन) का फार्मूला भी अपनाया जाएगा। बड़े निवेश पर उद्योगों को अब सरकार ज्यादा सहायता देगी।
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इसके लिए उद्योग नीति में भी संशोधन कर दिया गया है। गौण खनिज की खदान अब सरकार नीलाम करेगी। इसके लिए गौण खनिज नियम में बदलाव किया गया है। इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए नई नीति को मंजूरी दी गई है तो पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए नए नियम बनाए गए हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को बढ़ावा देने के लिए नई एमएसएमई विकास नीति और स्टार्टअप नीति को मंजूरी दी गई है।
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ईडब्ल्यूएस की अनिवार्यता खत्म
रियल एस्टेट पॉलिसी में कालोनाइजरों के सामने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 15 फीसदी स्थान आरक्षित करने के साथ ईडब्ल्यूएस आवास बनाने की शर्त सबसे बड़ी परेशानी का सबब थी। इसकी वजह से पूरा रियल एस्टेट सेक्टर प्रभावित हो रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने ईडब्ल्यूएस बनाने की अनिवार्यता खत्म करते हुए आश्रय शुल्क लेने का फैसला किया है। इस शुल्क का इस्तेमाल मुख्यमंत्री आवास मिशन में किया जाएगा।
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मिशन के तहत चार साल में छह लाख आवास बनाए जाएंगे। वहीं, कॉलोनाइजर को एक से अधिक शहर में आवासीय परियोजना के लिए अलग-अलग पंजीयन नहीं कराना होगा। एक प्रदेश-एक पंजीयन (लाइसेंस) का फार्मूला लागू होगा। शहर की बाहरी सीमा को एफएआर फ्री जोन घोषित किया जाएगा। नजूल एनओसी लेने की जरूरत नहीं होगी।
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असर: सरकार के इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी आएगी। निवेशक आगे आएंगे और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार बढ़ेगा। ईडब्ल्यूएस बनाने की जगह आश्रय शुल्क का प्रावधान करने से कॉलोनी अब पूरी विकसित होगी और बिल्डर पर यह दबाव भी नहीं रहेगा कि कमजोर वर्ग के लिए आवास बनाए और उन्हें बेचने का इंतजाम भी करे। कॉलोनाइजर को बार-बार पंजीयन कराने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। शहर के बाहरी हिस्से में हाईराइज इमारतें बनना आसान होंगी।
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25 करोड़ से अधिक के निवेश पर नीलामी नहीं पट्टा मिलेगा
लगभग चार साल से लंबित गौण खनिज नियम को सरकार ने मंजूरी दे दी। इसके तहत 25 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश करने पर खदान नीलाम करने की जगह पट्टे पर दे दी जाएगी। निजी भूमि की खदान को 15 प्रतिशत रायल्टी लेकर सीधे आवंटित कर दिया जाएगा। गिट्टी से रेत बनाने की यूनिट को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति घनमीटर रायल्टी को 25 रुपए रखा गया है। कवेलू उद्योग को गति देने के लिए वन और राजस्व की अनापत्ति लेने का प्रावधान समाप्त करते हुए ट्रांजिट परमिट जारी किया जाएगा। इस नीति से गौण खनिज से होने वाली आय 14 करोड़ रुपए सालाना से पांच सौ से सात सौ करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद है।
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असर: केंद्र सरकार ने 31 खनिजों को गौण खनिज की सूची में शामिल किया है। खनन के नियम न होने से इनका अवैध उत्खनन हो रहा था और सरकार को कोई राजस्व भी नहीं मिल रहा था। अब न सिर्फ निवेश आएगा, बल्कि आय व रोजगार भी बढ़ेगा।
बड़े उद्योगों को 200 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन सहायता मिलेगी
प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए उद्योग संवर्धन नीति में बदलाव किया गया है। इसके तहत बड़े उद्योगों को निवेश प्रोत्साहन सहायता दो सौ करोड़ रुपए तक मिलेगी। यह सहायता संयंत्र, मशीनरी, भवन, शेड के साथ प्रयोगशाला में किए गए निवेश पर मिलेगी। जांच प्रयोगशालाओं में वास्तविक निवेश पर अधिकतम 50 लाख रुपए दिए जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र की स्थापना पर एक करोड़ रुपए तक सहायता मिलेगी। वस्तुओं से जुड़े प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 50 लाख रुपए की सहायता मिलेगी। पेटेंट पंजीयन के लिए पांच लाख रुपए का खर्च सरकार देगी।
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असर: बड़े उद्योगों में निवेश का माहौल बनेगा। अभी 150 करोड़ रुपए तक अधिकतम सहायता दी जाती थी। प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र की स्थाापना को लेकर 25 लाख रुपए दिए जाते थे, जो बहुत कम थे। दवा उद्योग के क्षेत्र में प्रयोगशाला महत्वपूर्ण तत्व है, इसलिए इसमें होने वाले निवेश को बढ़ावा दिया गया है।
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जोड़ कैबिनेट – अजा, अजजा और महिलाओं को दो प्रतिशत अतिरिक्त सहायता अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला वर्ग को उद्योग लगाने प्रेरित करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2019 में प्रावधान किए गए हैं। इन्हें विकास अनुदान 40 प्रतिशत के अलावा दो प्रतिशत अलग से सहायता अनुदान दिया जाएगा। यदि महिला अनुसूचित जाति-जनजाति की है तो उसे यह अनुदान ढाई प्रतिशत मिलेगा। उत्पादों को निर्यात करने के लिए दो प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। क्वालिटी कंट्रोल का प्रमाणपत्र लेने, पेटेंट कराने, ऊर्जा संरक्षण के उपकरण लगाने, निजी क्षेत्र में उद्योग विकास केंद्र बनाने में आर्थिक सहायता दी जाएगी।
https://youtu.be/Avq6CqRweSQ
असर: अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए पहली बार प्रावधान करने से ये वर्ग प्रोत्साहित होंगे। निर्यात, पेटेंट का काम जो अभी आर्थिक समस्याओं की वजह से नहीं हो पाता था, वह हो पाएगा। निजी क्षेत्र भी इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आगे आएंगे।
स्टार्टअप को मार्केटिंग में सपोर्ट करेगी सरकार, दस लाख मिलेंगे।
स्टार्टअप नीति 2019 के तहत स्टार्टअप को मार्केटिंग में सपोर्ट करने के लिए सरकार दस लाख रुपए मुहैया कराएगी। बाजार में अपनी जगह बनाने में लगने वाले समय को देखते हुए एक साल तक दस हजार रुपए महीना दिया जाएगा। हर साल 20 नए आइडिया को एक लाख रुपए का पुरस्कार मिलेगा। 10 करोड़ रुपए का फंड बनेगा, जिससे स्टार्टअप की मदद की जाएगी। 50 करोड़ रुपए का वेंचर कैपिटल फंड भी बनेगा। स्वतंत्र संस्था बनाई जाएगी, जो स्टार्टअप से जुड़े कार्यक्रमों की समीक्षा करेगी।
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असर: रोजगार की तलाश में भटकने वाले युवाओं को स्टार्टअप के जरिए उद्यमी बनाने का काम किया जाएगा। बाजार तक पहुंच बनाने आसान नहीं होगा, इसमें समय और राशि दोनों लगते हैं, इसकी पूर्ति होगी।
इलेक्ट्रिक वाहन नीति
बड़े शहरों में लोक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहन के चलन को बढ़ावा देने के लिए नीति तैयार है। पांच साल में 2200 ई-बसें सरकार खरीदेगी। यह शहर के भीतर और बाहर चलेंगी। ई-रिक्शा, ऑटो आदि वाहन की खरीदी में पांच साल में 150 करोड़ रुपए की सबसिडी दी जाएगी। वाहन चार्ज करने के लिए जो स्टेशन बनेंगे, वहां भी सबसिडी मिलेगी।
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असर: लोक परिवहन से होने वाला प्रदूषण कम होगा। लागत घटेगी। रोजगार भी पैदा होगा।
मकान के दो तिहाई हिस्से को बना सकेंगे अतिथि गृह
पर्यटन नीति में संशोधन करते हुए मध्यप्रदेश बेड एंड ब्रेकफास्ट स्थापना नियम बनाए गए हैं। इसके तहत पर्यटन क्षेत्र में निजी आवास के दो तिहाई हिस्से में अतिथि गृह संचालित किया जा सकता है। इसके लिए छह कमरों (डबल बेड) की एक इकाई का पंजीयन होगा। इनके निरीक्षण के लिए अशासकीय व्यक्ति रखा जाएगा। विदेशी पर्यटक आने पर पुलिस को सूचना देनी होगी।
असर: पयर्टन क्षेत्रों में पर्यटकों को रहवास और भोजन सुविधा मिलेगी। घरेलू माहौल चाहने वालों को एक अवसर रहेगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा। रिकॉर्ड में सब चीजें आएंगी।
आरक्षित जमीन वापस ली, मल्टी प्रोडक्ट क्षेत्र बनेगा
उद्योग विभाग ने स्मार्ट इंडस्ट्रीयल पार्क में जापान, सुदूर पर्व एवं दक्षिण एशियाई देशों के निवेशकों के लिए पीथमपुर में आरक्षित 72.77 हेक्टेयर जमीन वापस ले ली है। अब इस जमीन को देश और प्रदेश के उन निवेशकों को दिया जाएगा जो बहु उत्पाद बनाने का कारखाना लगाएंगे। यह क्षेत्र को मल्टी प्रोडक्ट औद्योगिक क्षेत्र के रूप में आरक्षित रहेगा।
https://youtu.be/ZYXTDHCqsCc