मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक और प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा में भेज रहे हैं तो दूसरी और तकनीकी मार झेलते प्रदेश के लाखों बुजुर्ग बिना राशन अपने घर लौट जाते हैं जिसकी वजह बायोमेट्रिक मशीन है ऐसे में 80 साल तक की उम्र वाले ये बुजुर्ग राशन दुकानों पर तो जाते हैं, लेकिन बिना राशन लिए लौट आते हैं। इसकी वजह है- उम्र बढ़ने के साथ उनके अंगूठे के निशान का बायोमेट्रिक मशीन से मैच न होना।
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इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि अंगूठा घिसने से कई बुजुर्ग तो भुखमरी की कगार पर हैं और भीख मांगकर गुजारा कर रहे हैं। जबकि दिल्ली हो या बिहार या फिर उत्तर प्रदेश, तीनों में ऐसे बुजुर्गों के लिए ओटीपी, आईस्कैनर, आधार कार्ड की कॉपी जैसे विकल्प बनाए गए हैं, ताकि मजबूरी के मारे बुजुर्ग भूखे न रहें।
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सरकार का अजीब नियम..
लेकिन दूसरा व्यक्ति कहां से लाएं..?
मध्य प्रदेश में नियम है कि अगर फिंगर मैच नहीं कर रही है तो किसी ऐसे व्यक्ति को नॉमिनेट करो जो राशन लेने वाले परिवार से न हो। उसके फिंगर प्रिंट को नॉमिनेशन के बाद मान्य किया जाएगा। लेकिन गरीब बुजुर्गों का एक ही सवाल है- जब सरकार ही हल नहीं निकाल रही तो वो ऐसे सक्षम व्यक्ति को कहां से लाएंगे जो उनके लिए हर महीने राशन की दुकान की लाइन में खड़ा होगा? धक्के खाएगा और उन्हें राशन दिलवाएगा।
चार राज्यों ने निकाले दो रास्ते
- दिल्ली- आई स्कैनर तो है ही, रजिस्टर्ड मोबाइल पर एक ओटीपी भी आता है, जिससे राशन मिल जाता है।
- छत्तीसगढ़- टैब से फोटो खींचकर। मैन्युअल राशन यानी रजिस्टर में नोट करके भी राशन दिया जाता है।
- उत्तर प्रदेश- आई स्कैनर और हितग्राही के आधार कार्ड को मशीन से जोड़ा है। कार्ड धारक के मोबाइल पर ओटीपी भेजकर ओटीपी वेरिफिकेशन कर राशन देते हैं।
भोपाल में ऐसे 10 हजार बुजुर्ग
हमारे पास ऐसे 40 हजार परिवार यानी सवा लाख लोगों का डेटा है, जिनके फिंगर प्रिंट मैच नहीं कर रहे। भोपाल में ऐसे 10 हजार बुजुर्ग हैं।
– एचएस परमार, ज्वाइंट डायरेक्टर, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग मप्र
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