पेंशन दिलाने के बहाने भांजे ने हड़पी 20 बीघा जमीन,80 साल के अनपढ़ मामा लगवाया अंगूठा

    पेंशन दिलाने के बहाने भांजे ने हड़पी
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    भांजे ने हड़पी 20 बीघा जमीन अनपढ़ मामा से 50 लाख की जमीन पर पेंशन दिलाने के बहाने लगवाया अंगूठा

    गुना जिले के बमोरी इलाके में रहने वाले एक भांजे ने अपने बूढ़े मामा के साथ दगाबाजी की है। उन्हें वृद्धावस्था पेंशन दिलाने के बहाने लेकर रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचा और मामा की जमीन की रजिस्ट्री अपनी पत्नी के नाम पर करा लिया। वृद्ध को कोई बेटा नहीं है, बस एक बेटी है। इस वजह से वे अपने भांजे के घर पर ही रहते हैं। वृद्ध को जब भांजे की दगाबाजी पता चली तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। मंगलवार को पीड़ित मामा ने जनसुनवाई में आवेदन देकर भांजे के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई है। मामला बमोरी के कुमारी गांव का है।

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    यहां रहने वाले रामकिशन (80) को 20 बीघा जमीन 1975 में भूदान में मिली थी। उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है। अच्छे से ध्यान रखने का बोलकर भांजा काशीलाल ओझा अपने साथ ले गया था। काफी समय से रामकिशन उसी के साथ रह रहे थे। इस 20 बीघा जमीन की कीमत करीब एक करोड़ के आसपास है।

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    भांजे ने जहां बोला– वहां मामा ने अंगूठा लगा दिया
    रामकिशन ने बताया कि एक दिन भांजे ने यह कहकर अपने साथ ले गया कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन शुरू करवा देगा। इससे उन्हें हर महीने कुछ पैसे मिलने लगेंगे। भांजे ने जहां बोला- रामकिशन ने वहां अंगूठा लगा दिया। रामकिशन को बहुत कम सुनाई देता है। भांजे के विश्वास और बातों में आकर रामकिशन ने सभी जगह अंगूठा लगा दिया।

    20 बीघा जमीन की करा ली रजिस्ट्री
    अगले दिन रामकिशन को पता चला की उनके भांजे ने धोखे से सारी जमीन अपनी पत्नी गुड्डी बाई के नाम करा ली है। यह सुनकर उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने अपनी बेटी को सारी बात बताई, इसके बाद मंगलवार को बेटी उन्हें लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची और जनसुनवाई में रजिस्ट्री निरस्त करने की मांग की है।

    2012 में ही लिख दी थी वसीयत
    रामकिशन को जमीन भूदान में मिली थी। उन्होंने 2012 में ही अपनी वसीयत लिख दी थी। इसमें उन्होंने अपनी बेटी मुन्नी बाई के नाम पूरी जमीन लिख दी थी। 27 जुलाई 2012 को वसीयत लिखी गई और 30 जुलाई को रजिस्टर्ड करा ली गई थी।

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    रजिस्ट्री होने के बाद रखा भूखा-प्यासा
    रामकिशन के नाती ने बताया कि रजिस्ट्री होने के बाद काशीलाल ने खाना देना बंद कर दिया। उनकी हालत ऐसी हो गयी थी कि अगर 10 दिन और वहां रहते तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी। 15 दिन पहले वह किसी तरह भागकर अपनी बहन के घर पहुंचे।

    नामांतरण नहीं हो सकता: एसडीएम
    SDM वीरेंद्र सिंह ने बताया कि भूदान की जमीन को नहीं बेचा जा सकता। उस पर मालिकाना हक जरूर होता है, लेकिन वह पट्टे के रूप में दी जाती है। अगर किसी तरह रजिस्ट्री करा भी दी जाती है तो उसका नामांतरण नहीं हो सकता। नामांतरण के लिए आवेदन लगेगा तो वह खारिज हो जाएगा।

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