संकट मोचक डॉ. नरोत्तम मिश्रा कार्यकर्ताओं के सखा,मित्र और मार्गदर्षक साबित हुए -डॉ. दुर्गेश केसवानी

संकट मोचक डॉ. नरोत्तम मिश्रा कार्यकर्ताओं के सखा,मित्र और मार्गदर्षक साबित हुए -डॉ. दुर्गेश केसवानी

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डॉ. दुर्गेश केसवानी,मध्यप्रदेश की राजनीति में लोकप्रियता हासिल करने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा अपने विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में एक लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश की राजनीति में अपनी कुशल वाकपटुता के आधार पर एक अलग पहचान बनाई है।

उनके हाजिर जवाब को शायराना अंदाज की वजह से लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि पार्टी का कार्यकर्ता संगठन का श्रृंगार है। कार्यकर्ता आधारित पार्टी नारा नहीं एक सच्चाई है और कार्यकर्ता पार्टी का मेरूदण्ड बनकर संगठन को सर्वस्पर्षी, सर्वग्राही बनाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने संगठन में अपनी संगठन क्षमता से कार्यकर्ता को अपना मुरीद तो बनाया, अपने को कार्यकर्ता का सखा, मित्र और मार्गदर्षक भी साबित किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच सद्भाव का सेतु बनता है।

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डॉ. नरोत्तम मिश्रा का जन्म 15 अप्रैल 1960 को ग्वालियर में हुआ। माँ कमला देवी और पिता डॉ. शिवदत्त मिश्रा के यहां जन्म लेने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा अपने तीन भाईयों और तीन बहिनों के साथ जहाँ अपने कुल का नाम रोशन कर रहे है तो वही उनके पुत्र अशुंमान, सुकर्ण और बेटी मृगनयनी और दमाद सहित नाती पोतों है। वे बचपन से ही संघ की पृष्ठभूमि से प्रभावित रहे हैं। संघ से लगाव ने उन्हें मानव सेवा के लिए प्रेरित किया और वे राजनीति के माध्यम से जनसेवा के परोपकारी कार्यों को अंजाम देने लगे।

उनकी राजनीति की शुरूआत कॉलेज के दिनों से हुई। डॉ. नरोत्तम मिश्रा वर्ष 1977-78 में जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के छात्रसंघ के सचिव रहे। इसके बाद उन्हें वर्ष 1978 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया। यहां पर वे 1980 तक सक्रिय रहे। इसके बाद तो उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति की सफलता की सीढ़ियां एक के बाद एक चढ़ते गए। बाद में डॉ. नरोत्तम मिश्रा वर्ष 1985 से 1987 तक प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य रहे। वे वर्ष 1990 में नवम विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। यहां उन्हें लोक लेखा समिति का सदस्य भी बनाया गया। डॉ. मिश्रा वर्ष 1990 में विधानसभा में सचेतक तथा वर्ष 1990 से जीवाजी विश्वविद्यालय की महासभा के सदस्य भी रहे। वे वर्ष 1998 में दूसरी बार तथा वर्ष 2003 में तीसरी बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।

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डॉ. नरोत्तम मिश्रा को 01 जून 2005 को पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया। जिसके बाद उन्होंने अपनी एक अलग ही लकीर खींची जो कैबिनेट मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ जल संसाधन, जनसंपर्क, संसदीय कार्य, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों में जिम्मेदारी निभाते हुए वर्ष 2018 में कांग्रेस की जनविरोधी सरकार को सत्ता से बेदखल कर पुनः सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर प्रदेश के गृहमंत्री का पद सम्हाल रहे है। डॉ. नरोत्म मिश्रा जितने अपनी पार्टी में लोकप्रिय है उतने ही विपक्षी पार्टीयों में भी उनकी लोकप्रियता है। यही वजह है कि कांग्रेस ही नहीं जितने भी विपक्षी दल के नेता है उनके व्यावहार और राजनीतिक कार्यकुशलता का लोहा मानते है।

कांग्रेस के कर्जमाफि के झूठे वादों से गलती से आई कांग्रेस सरकार ने प्रदेष की साढ़े सात करोड़ जनता के हितों पर कुठाराघात उन्हें कभी बर्दास्त नहीं हुआ और उन्होंने आगे बढ़कर संगठन को कवच के रूप में प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश की सरकार औैर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी कई बार हुआ, जब उन्हें ऐसे संकटों ने घेरा, जिससे निकलना इतना आसान नहीं था, लेकिन सरकार औैर मुख्यमंत्री के लिए हर संकट में संकटमोचक बनकर आए प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा चाहे सरकार के साथ कोई संकट हो या फिर संगठन में कोई अहम भूमिका का निर्वहन करना हो, हर मोर्चे पर सर्वोत्तम बनकर ही सामने आए हैं। विधानसभा में भी उनकी भूमिका हमेशा से सरकार के बचाव औैर विपक्ष को घेरने की रही है। वे अपनी बात को बेहद बेबाकी के साथ रखते हैं औैर उसी बेबाकी के साथ विपक्ष के सवालों के जबाव भी देते हैं। अन्याय के प्रति जुझारूपन से आगे बढ़ना उनका स्वभाव है।

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इससे वे कभी-कभी कांग्रेस के लिये असहज भी प्रतीत होते हैं, लेकिन लोकतंत्र में विरोध एक अनिवार्य परिणति है इसका सभी का अधिकार है। अनेक अवसरों पर उनके नेतृत्व में ऐसे आंदोलन किये गये जिनका संगठन से सीधा संबंध नहीं रहा किंतु इन आंदोलनों के पीछे प्रदेष और जनता का व्यापक हित जुड़ा हुआ था इसलिए उन्होंने इस दिषा में कार्यकर्ताओं को ऊर्जित किया। संगठन, संघर्ष और समर्पण की राह पर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को नसीहतें दी हैं, जो कार्यकर्ताओं के लिये भविष्य में अमूल्य निधि साबित होंगी।

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एक कर्मयोगी की तरह सतत् जनसेवा में लगे रहने वाले डॉ. मिश्रा जहाँ अपने विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय राजनेता की छवि रखते है तो वही वह अपनी पार्टी सदस्यों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की बिरादरी में एक सहज और सरल व्यक्तित्व के रूप में उनके हर सुख दुःख में उनके साथ खड़े मिलते है। अपनी मोहक मुस्कान से सबको मोह लेने वाले ऐसे विरले ही राजनेता होते है जो हर एक व्यक्ति का परिवार का सदस्य होता है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी जीत दिलाने का जिम्मा हो या फिर पश्चिम बंगाल चुनाव में दहाड़ मारती उनकी आवाज जीत की तरफ इशारा करती है। अपनी वाकपटुता और चातुर्य से दुश्मन को चारोंखाने कैसे चित करना है अगर किसी से सीखना है तो वह डॉ. नरोत्तम मिश्रा ही हो सकते है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के एक समर्पित कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में डॉ.मिश्रा लगातार कर्मयोगी की तरह जीवन के पथ पर अग्रसर है। उनकी सामाजिक और राजनैकित यात्रा हमेशा यूं ही अविरल चलती रहे।

-लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता है।

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