माखनलाल के पूर्व कुलपति प्रो. कुठियाला पर EOW कि गाज,विजिटर्स को शराब पिलाने और ABVP-RSS से जुड़े संगठनों को फंडिंग का आरोप

    माखनलाल के पूर्व कुलपति प्रो. कुठियाला पर EOW कि गाज,विजिटर्स को शराब पिलाने और ABVP-RSS से जुड़े संगठनों को फंडिंग का आरोप
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    पूर्व कुलपति प्रो. कुठियाला की दोबारा जांच करेगी EOW,विजिटर्स को शराब पिलाने और ABVP-RSS से जुड़े संगठनों को फंडिंग का आरोप

    मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) के पूर्व कुलपति प्रो. बीके कुठियाला पर EOW की गाज एक बार फिर गिर सकतीं है आपको बतां दें EOW ने MCU में 2003 से 2018 तक भर्तियों में हुई गड़बडी व अनियमितताओं के आरोपों की जांच दोबारा करेगा। EOW कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने इसके आदेश दिए हैं।

    कमलनाथ सरकार के दौरान शुरू की गई जांच

    मध्य प्रदेश में सत्ता पलट के बाद बनी कमलनाथ सरकार के दौरान MCU में हुई अनियमितताओं की जांच शुरू की गई थी। मामले में प्रो. कुठियाला समेत 20 लोगों पर एफआईआर दर्ज है। बीजेपी की सरकार आने के बाद EOW ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट देकर पेश की थी। इसमें शिकायतकर्ता आशुतोष मिश्रा ने पक्ष रखा।

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    प्रो. कुठियाला समेत इन 20 पर दर्ज है FIR

    EOW में तत्कालीन कुलपति प्रो. बीके कुठियाला, डॉ. शशिकला, डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डॉ. अविनाश वाजपेयी, प्रो. अरुण भगत, प्रो. संजय द्विवेदी, डॉ. मोनिका वर्मा, डॉ. कंचन भाटिया, डॉ. मनोज कुमार पचारिया, डॉ. आरती सारंग, रंजन सिंह, डॉ. सौरभ दुबे, सूर्यप्रकाश शाह, प्रदीप कुमार डहेरिया, सतेंद्र कुमार डहेरिया, डॉ. गजेंद्र अवस्या, डॉ. कपिल चौरसिया, रजनी नागपाल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा दो अन्य भी हैं, जिनकी मौत हो चुकी है।

    प्रॉपर तरीके से नहीं की इन्वेस्टिगेशन

    कोर्ट ने 23 पेज का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि EOW ने इन्वेस्टिगेशन प्रॉपर तरीके से नहीं की। कोर्ट ने EOW के लगाए खात्मा को निरस्त कर आगे इन्वेस्टिगेशन के आदेश दिए। कोर्ट ने मामले में विवेचना करने को कहा है। इसमें विवि में हुई नियुक्तियों की इन्वेस्टिगेशन कर उनके मूल दस्तावेजों का मिलान करना होगा। भर्ती नियमानुसार हुई है या नहीं, इसकी जांच करनी होगी। इससे संबंधित साक्ष्य जुटाने के आदेश भी दिए गए हैं।

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    यह आरोप लगे

    • 2003 से 2018 तक 19 लोगों की नियम विरुद्ध नियुक्तियां करना
    • तत्कालीन कुलपति प्रो. कुठियाला द्वारा भारी गड़बड़ी एवं भ्रष्टाचार करना
    • यूजीसी के नियमों के विपरीत अपात्र व्यक्तियों को शिक्षक के पद पर नियुक्त कर अवैध तरीके से लाभ पहुंचाना
    • विशेष व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की नीयत से अनावश्यक शिक्षण केंद्र खोलना
    • प्रो. कुठियाला द्वारा विवि की राशि परिजनों पर खर्च करना।

    प्रो. कुठियाला पर ये भी आरोप

    प्रो. कुठियाला पर आरोप हैं कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के खर्च पर आगंतुकों को शराब पिलवाई गई। अपनी पत्नी को विदेश यात्रा के लिए हवाई यात्रा के टिकटों का भुगतान विवि से कराया। यही नहीं, विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदे गए कीमती मोबाइल फोन को धोखाधड़ी करते हुए स्वयं के उपयोग में रख लेने के भी आरोप हैं। बीजेपी सरकार आते ही एमसीयू में प्रो. कुठियाला के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी को लेकर एक बार फिर जांच कराई और EOW को बताया कि सभी नियुक्तियां सही हैं। इसके बाद EOW ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में रखी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।

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    कमलनाथ सरकार ने तत्कालीन एसीएस रेड्‌डी से कराई थी जांच
    कमलनाथ सरकार द्वारा 18 जनवरी 2019 में तत्कालीन एसीएस एम गोपाल रेड्‌डी की अध्यक्षता में इन्वेस्टिगेशन कमेटी बनाई थी। इसमें कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता और संदीप दीक्षित इस कमेटी के सदस्य थे। इनके द्वारा जांच कर रिपोर्ट 7 मार्च 2019 शासन को सौंपी। इसके बाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति दीपक तिवारी के निर्देश पर तत्कालीन रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल ने 11 अप्रैल 2019 को EOW भोपाल में आवेदन दिया।

    आवेदन में विवि में 2003 से 2018 तक की गई अवैध नियुक्तियों व आर्थिक अनियमितता होने की बात की गई। जिसके आधार पर EOW ने धोखाधड़ी, षड़यंत्र रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई।

    ABVP सहित RSS से जुड़ी संस्थाओं पर खर्च किए 21 लाख
    प्रो. कुठियाला पर अपने कार्यकाल में अनाधिकृत तौर से विश्वविद्यालय की राशि का दुरुपयोग कर राज्य के बाहर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP और RSS से संबंधित संस्थानों के आयोजनों पर राशि खर्च करने के आरोप हैं। इसमें ABVP को 8 लाख रुपए, राष्ट्रीय ज्ञान संगम के लिए 9.50 लाख रुपए, कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा श्री रविशंकर के आश्रम में आयोजित संगम के लिए 3 लाख रुपए, भारतीय शिक्षण मंडल नागपुर को 8 हजार रुपए, भारतीय बेव प्रा.लि. नागपुर को 46 हजार 607 रुपए जारी किए। इस तरह 21 लाख 4 हजार 607 रुपए की हानि पहुंचाने का आरोप है।

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