नासिक में हुई घटना के बाद भोपाल के 120 अस्पतालों में भी आक्सीजन की व्यवस्था की जांच शुरू हो गई है। जांच में सामने आया कि कहीं वार्ड बॉय आक्सीजन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं तो कहीं अस्पताल में प्यून पर मरीजों की सांसों की जिम्मेदारी है। कहीं भी दक्ष स्टाफ नहीं है जो आक्सीजन के सुरक्षा संबंधी उपायों का विशेषज्ञ हो और जांच कर सटीक जानकारी बता सके। किसी भी अस्पताल में आक्सीजन सिलिंडर के रखरखाव की भी व्यवस्था नहीं है। कहीं-कहीं तो मरीज के बाजू में ही आक्सीजन सिलिंडर रखा मिला।
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दरअसल, शनिवार को नगर निगम के अफसरों और इंजीनियरों ने 12 अस्पतालों की जांच की। इसमें अधिकतर अस्पतालों की जांच में दक्ष स्टाफ न होने की बात सामने आई है। नासिक में हुई घटना के बाद कलेक्टर अविनाश लवानिया ने नगर निगम के अफसरों की टीम बनाकर जांच शुरू कर दी है। इसमें निगम के अपर आयुक्त सीपी गोहिल के साथ कार्यकारी अभियंता आशीष श्रीवास्तव सहित अन्य अधीक्षण यंत्री व सहायत यंत्री हैं। इन्होंने जब अस्पतालों की जांच की तो यह तथ्य सामने आए।
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हैरत की बात तो यह है सिद्धांता अस्पताल में तो आक्सीजन लीक होते पाई गई है। कहीं वाल्व कटे हुए मिले तो कहीं सिलिंडर ही जर्जर दिखाई दिए। उल्लेखनीय है कि राजधानी के निजी अस्पतालों में आक्सीजन के रखरखाव का काम निजी हाथों में सौप रखा है, इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं किया जा रहा है।
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