अंटार्कटिक में भारत के तीन रिसर्च सेंटर, वर्ष 1983, 1988 और 2012 में किया गया था शुरू,अभी दो शिविर मैत्री और भारती पूरी तरह से कार्यान्वित हैं.
लोकसभा ने शुक्रवार को ‘भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022’ को मंजूरी देदी हैं, जिसके तहत अंटार्कटिका में भारत की अनुसंधान गतिविधियों तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए विनियमन ढांचा प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। अंटार्कटिक में भारत के तीन रिसर्च सेंटर हैं। यह बिल अंटार्कटिका में गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के मकसद से लाया गया है। साथ ही एक पुरानी संधि के तहत यह अनिवार्य भी है। सरकार के अनुसार अंटार्कटिक में दो रिसर्च स्टेशन है। भारतीय रिसर्च स्टेशन के क्षेत्र में गैरकानूनी गतिविधि होती है उससे निपटने के लिए इस कानून की जरूरत है। मार्च में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की थी। इससे पहले यह बिल इस साल 1 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया गया था। आइए इस विधेयक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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अंटार्कटिका द्वीप इस धरती का बेहद अहम हिस्सा है. प्रकृति के इस अहम हिस्से को बचाने के लिए दुनिया के कई देश साथ आए. 1959 में 12 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे अंटार्कटिका संधि कहा गया. इस संधि में किए गए प्रावधानों के मुताबिक, दुनिया के तमाम देश आपसी सहयोग के साथ यहां शांतिपूर्ण ढंग से शोध करेंगे. यहां किसी तरह की सैन्य गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी. इस संधि की शुरुआत 12 देशों से हुई थी, लेकिन इससे अबतक 54 और देश जुड़ गए. भारत ने 1983 में इस संधि पर हस्ताक्षर किया.
क्या है अंटार्कटिका बिल 2022?
इस संधि से जुड़ने के करीब 40 साल बाद भारत सरकार ने ‘इंडियन अंटार्कटिका बिल, 2022’ पेश किया है. यह बिल अंटार्कटिका संधि, समुद्री जीव संसाधन संबंधी कन्वेंशन और अंटार्कटिका संधि के तहत पर्यावरणीय संरक्षण पर प्रोटोकॉल को प्रभावी बनाने के लिए है. पर्यावरण के संरक्षण और इस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों को रेगुलेट करने का भी यह बिल प्रयास करता है.
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इस बिल का क्या प्रभाव होगा?
1.यह बिल उन लोगों पर लागू होगा जो इसके तहत जारी परमिट के जरिये अंटार्कटिक के लिए भारतीय अभियान का हिस्सा बनते हैं.
2.इसके जरिये केंद्र सरकार एक अंटार्कटिका शासन और पर्यावरणीय संरक्षण समिति बनाएगी, जिसके अध्यक्ष पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव होंगे.
3.इस विधेयक में परमिट जारी करने और कई निषेधात्मक कार्यों पर रोक लगाए जाने के प्रावधान किए गए हैं.
4.इस बिल के जरिए अंटार्कटिका के लिए अभियान का हिस्सा बने लोगों के लिए परमाणु कचरे के निष्पादन और मिट्टी ले जाने तक के लिए दिशा-निर्देश और नियम बनाए गए हैं.
5.नियमों के उल्लंघन पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान इस बिल में किया गया है, जो अंटार्कटिका में भारतीय मिशन पर गए लोगों पर लागू होगा.
6.अंटार्कटिका में भारतीय अभियानों पर अब तक अंतरराष्ट्रीय कानून चलता था. इस बिल के जरिये भारत की अदालतों में फैसला लिया जा सकेगा.
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क्या है और कहां है अंटार्कटिका?
एशिया, अफ्रीका की तरह अंटार्कटिका भी एक महाद्वीप है, जो धरती के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है. यह एक निर्जन इलाका है और पूरी तरह बर्फ से ढका रहता है. धरती पर सबसे ठंडी जगहों में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव का नाम आता है. उत्तरी ध्रुव धरती के ठीक ऊपर तो दक्षिणी ध्रुव बिल्कुल नीचे होता है. यहां सूरज हमेशा क्षितिज पर दिखता है. यह निर्जन द्वीप है, यानी स्पष्ट है कि यहां इंसान नहीं रहते. हालांकि यहां कुछ दुर्लभ जीव-जंतु रहते हैं. यहां आम इंसान नहीं रहते, लेकिन दुनियाभर के कई देशों के वैज्ञानिक यहां शोध कर रहे हैं.
अंटार्कटिका में भारत के 3 शिविर
अंटार्कटिका यूं तो भारत से काफी दूर दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है, लेकिन वहां भारत के 3 स्थाई शिविर हैं. अंटार्कटिका संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद से अब तक भारत ने यहां अब तक 40 वैज्ञानिक अभियान पूरे किए हैं. अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती नाम से भारत के तीन शिविर हैं. ये शिविर क्रमशः वर्ष 1983, 1988 और 2012 में शुरू किए गए थे. अभी दो शिविर मैत्री और भारती पूरी तरह से कार्यान्वित हैं.
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