किसान संगठन धरना प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार नहीं है किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को होगी अगली बैठक
आज सुप्रीम कोर्ट कृषि कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी दिल्ली की सीमा पर किसान का विरोध प्रदर्शन लगभग 50 दिनों से जारी है काम खत्म किए बिना किसान संगठन धरना प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार नहीं है सरकार कानून में सुधार करने के पक्ष में है इन्हें रद्द करने के नहीं यहीं पेंच फंसा हुआ है केंद्र और किसान संगठनों के बीच 7 जनवरी को हुई आठवीं बैठक में भी कोई हल नहीं निकला और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को होने वाली अगली बैठक भी है इसलिए आज प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कई मायनों में अहम है
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सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसकी और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा जारी है साथ ही इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिए समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी अदालत ने कहा था कि हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं हम 11 जनवरी को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो
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आठवीं दौर की बैठक के बाद यह बोले थे कृषि मंत्री
आठवीं बोर्ड की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया
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किसानों की मांग:-
खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों किसानों के मुताबिक इससे काॅॅर्पोरेट घरानों को फायदा होगा एमएसपी का कानून बने ताकि उचित दाम मिल सके नया बिजली कानून ना आए क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो
सरकार का कहना:-
कानून वापस नहीं ले सकते संशोधन कर सकते हैं आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं तो आश्वासन दे सकते हैं बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा नया कानून नहीं आएगा पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी