महंगाई की मार से फिर जलने लगे लकड़ी और चूल्हे,निकला उज्जवला योजना का दम

    महंगाई की मार से फिर जलने लगे लकड़ी और चूल्हे,निकला उज्जवला योजना का दम
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    उज्जवला योजना 2016 में शुरू की गई इसमें ग्रामीण उपभोक्ताओं को नि:शुल्क दिए थे गैस सिलेंडर जो महंगाई की मार से फिर जलाने लगे हैं लकड़ी और चूल्हे

    दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ती महंगाई ने आमजन का पूरा बजट हिला कर रख दिया है एक तरफ जहां आम जनता महंगाई से लड़की रही थी की दूसरी तरफ पेट्रोलियम कंपनियों ने घरेलू गैस की कीमतों में लगातार वृद्धि जारी रखी है जिसका सीधा असर अब आम घरों के किसी ने भी देखने को मिल रहा है इसकी हालत यह है कि ग्रामीण इलाकों में तो जो प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत घरेलू गैस सिलेंडर दिए गए थे जिनका उपयोग ग्रामीण अब सिर्फ कुर्सी टेबल की तरह बैठने के लिए ले रहे हैं और वही लकड़ी-कोयले से जलने वाले चूल्हे की सहायता से खाना बना रहे

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    जाहिर है कि केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा उज्जवला योजना में 250 रुपए की सब्सिडी के बावजूद ग्रामीण उपभोक्ता सिलेंडर लेना उचित नहीं समझ रहे हैं और वह लोग अब अपने पुराने झूलों का फिर से उपयोग करना शुरू कर दिया है वहीं अगर बात शहरी उपभोक्ताओं की की जाए तो वह मजबूरी में गैस इस्तेमाल कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में तो आलम यह है कि उज्जवला योजना के तहत मिले सिलेंडर कई घरों में कबाड़ में पड़े हैं तो कई लोगों ने तो उसे बेच भी दिया

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    केंद्र सरकार ने मई 2016 को उज्ज्वला योजना शुरू की थी। इसके तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं को नि:शुल्क गैस सिलेंडर दिए गए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र को महिलाएं भी रसोई गैस का इस्तेमाल कर सकें। इसके बाद गैस सिलेंडरों के बढ़ते दामों का असर यह रहा कि महिलाएं फिर से परंपरागत संसाधन चूल्हे पर आ गईं और उज्ज्वला के चूल्हे ठंडे हो गए।

    ग्रामीण इलाकों में स्थिति यह है कि रसोई गैस के आए दिन बढ़ते दामों को देखते हुए कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडर बेच दिए, कई लोगों ने सिलेंडरों को कबाड़ में डाल रखा है तो कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडरों को अपने रिश्तेदारों को दे दिया और स्वयं लकड़ी और कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है।

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    बागेरी निवासी सुशीलाबाई का कहना है मुझे तीन साल पहले उज्ज्वला योजना का चूल्हा मिला था, किंतु लगातार गैस के दाम बढ़ने की वजह से यह कबाड़ में पड़ा हुआ है, क्योंकि घर चलाने के लिए मजदूरी कर घर सात सदस्यों का पेट भरना मुश्किल है।

    ऐसे में गैस सिलेंडर भरवाने के लिए कहां पैसों का जुगाड़ करें। ग्राम मणिखेड़ा निवासी देवाबाई ने बताया उज्ज्वला योजना का सिलेंडर मिला था, उसी दौरान शुरुआत में सिलेंडर का उपयोग किया था। उसके बाद टंकी भरवाने तक के पैसे नहीं थे तो हमने गैस टंकी मिलने वाले को दे दी।

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