लॉकडाउन में कई गुना बड़ी घरेलू हिंसा,जानिए शिकार महिलाओं के लिए कितना दर्दनाक रहा लॉकडाउन?

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    दूसरे कई देशों की तरह भारत में भी लंबे समय से चल रहा लॉकडाउन घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए भारी साबित हुआ है. 18 अप्रैल को तारा (अनुरोध पर बदला हुआ नाम) ने ऑनलाइन हेल्पलाइन नंबर सर्च किया जिस पर घरेलू हिंसा की शिकार पीड़ितों को मदद मिलती है

    तब लॉकडाउन को गुज़रे हुए तीन हफ़्ते से थोड़े ज़्यादा का वक़्त हुआ था. भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था.उनके पति 15 सालों से उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज करते आ रहे हैं. लेकिन चूंकि वो नौकरी करती थीं, इसलिए वो ज़्यादातर वक़्त घर से बाहर रहती थीं. उनके पति भी अक्सर सफ़र पर होते थे जिस वजह से वो दोनों ज्यादा वक़्त साथ में नहीं रहते थे.

    लॉकडाउन ने लेकिन अब उन दोनों के बीच बहुत कुछ बदल कर रख दिया है.

    उनके पति और सास सुन न लें इसलिए वो फ़ोन पर बंद कमरे से धीमी आवाज़ में बताती हैं, “मैं हमेशा एक डर के साए में जीती हूँ कि कौन सी बात मेरे पति को बुरी लग जाएवो बताती हैं कि दोनों ही उन्हें ताना देते हैं और उन्हें प्रताड़ित करते हैं मुझे हमेशा कहा जाता है कि मैं एक अच्छी मां नहीं हूँ और ना ही एक अच्छी पत्नी हूँ. वो मेरे सामने खाने-पीने की चीज़ों की लंबी-चौड़ी फ़रमाइशें रखते हैं और मेरे साथ नौकरों की तरह व्यवहार करते हैं.” https://youtu.be/GoC6V5Zqt-Y

    घरेलू हिंसा के साथ दिक्कत यह है कि इसकी जड़ें इतनी गहरी और व्यापक हैं कि इसकी सही स्थिति का अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है। यह एक ऐसा अपराध है, जिसे अक्सर नजरअंदाज या छुपा लिया जाता है, औपचारिक रूप से इसके बहुत कम मामले रिपोर्ट किए जाते हैं और कई बार तो इसे दर्ज करने से इनकार भी कर दिया जाता है। https://www.instagram.com/p/CBA4qc7ghjq/?igshid=1dp9k4nodmo21

    जयादातर महिलाएं शादी बचाने के दबाव में इसे चुपचाप सहन कर जाती हैं। हमारे समाज और परिवारों में भी विवाह और परिवार को बचाने के नाम पर इसे मौन या खुली स्वीकृति मिली हुई है। राज्य और प्रशासन के स्तर पर भी कुछ इसी प्रकार यही मानसिकता देखने को मिलती है। 

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