भारतीय सेना को रणनीतिक रूप से बेहद अहम दोकलम बेस तक पहुंचने में अब 40 मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। दरअसल सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इस क्षेत्र में तारकोल से हर मौसम में काम करने वाली सड़क बना दी है। इसकी खासियत है कि इस पर कितना भी वजन ले जाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है। 2017 में जब भारतीय सेना दोकलम में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से उलझी हुई थी, उस समय यहां तक पहुंचने में खच्चरों के लिए बने रास्ते पर सात घंटे तक का वक्त लग जाता था।
इन सब समस्याओं के मद्देनजर भारतीय सेना ने बीआरओ यानी सीमा सड़क संगठन के साथ मिलकर तीन नई सड़कों का निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसमें से एक काम कार्य पूरा हो गया है। चीन की अगली किसी भी चाल से चौकन्ना रहने के लिए इस सड़क को बनाना आवश्यक था। बीआरओ के मुताबिक इनमें से एक रोड पूरी तरह से तैयार है। ये सड़क सिक्किम की राजधानी गंगटोक से नाथूला बॉर्डर तक जाने वाले राजमार्ग के करीब बाबा हरभजन मंदिर से सटे कूपूप से सीधे डोकला पास (दर्रे) तक जाती है।

कच्चा रास्ता था
दोकलम विवाद से पहले ये एक कच्चा रास्ता था और सैनिक कूपूप से दोकलम पहुंचने के लिए पैदल या फिर खच्चर का सहारा लेते थे। यहां से डोकला पास पहुंचने में पांच से सात घंटे का समय लगता था। लेकिन अब यहां पक्की सड़क बन गई है जो भीमबेस से होकर गुजरती है और गाड़ी से मात्र 40 मिनट में सैनिक दोकलम पठार तक पहुंच सकते हैं। दोकला तक जाने के लिए हर मौसम में बनी रहने वाली दूसरी सड़क फ्लैग हिल-दोकला एक्सिस भी 2020 तक पूरी हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 18 जून, 2017 को लगभग 270 सशस्त्र भारतीय फौजी दोकलम पठार पहुंचे थे, ताकि चीन के सड़क निर्माण कामगारों को जाम्फेरी रिजलाइन तक सड़क बनाने से रोका जा सके। वहां तक सड़क बन जाने से पीपल्स लिबरेशन आर्मी के लिए संकरे सिलिगुड़ी कॉरिडोर को देखना बेहद आसान हो जाता। सिलिगुड़ी कॉरिडोर भूमि का सिर्फ 18 किलोमीटर चौड़ा हिस्सा है, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत के साथ जोड़ता है।
चीन पर बढ़त
चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा जताता रहा है। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में पूर्वोत्तर राज्य असम में देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन कर चुके हैं। इसका उपयोग आम नागरिकों के साथ ही भारतीय फौज भी कर सकेगी, जिससे सैनिकों और साजो-सामान की त्वरित तैनाती की जा सके। भारत अरुणाचल के तवांग और दिरांग में दो एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) बनाने के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहले से निर्मित छह एएलजी का उन्नयन भी कर रहा है।
भूटान का हिस्सा
भारत दोकलम पठार को अविवादित रूप से भूटानी क्षेत्र मानता है, जबकि चीन इसे अपनी चुंबी घाटी का ही हिस्सा मानता है। चुम्बी घाटी पश्चिम में सिक्किम तथा पूर्व में भूटान के बीच स्थित है। वहीं विवादित दोकलम क्षेत्र लगभग 89 वर्ग किलोमीटर का टुकड़ा है, जिसकी चौड़ाई 10 किलोमीटर भी नहीं है।
सड़क की जिम्मेदारी बीआरओ को
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