पांच दिवसीय दीपोत्सव (दीपावली) पर इस बार तिथियों की अनूठी स्थिति देखने को मिल रही है। तिथियों की अनूठी स्थिति होने के कारण इस साथ कई विशेष संयोग भी बनेंगे, जो कि इस पर्व के शुभता को और अधिक बढ़ाएंगे। इस बार 27 अक्टूबर को सुबह उदयकाल में चतुर्दशी होने से रूप चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान होगा। जबकि शाम को प्रदोषकाल में कार्तिक अमावस्या होने से महालक्ष्मी माता का पूजन भी इसी दिन होगा। इसके साथ ही 28 अक्टूबर को सुबह अमावस्या तिथि होने से सोमवती अमावस्या का संयोग भी बनेगा।
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ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार दीपावली पर्व के दौरान हर दिन कुछ विशेष मंगलकारी संयोग बनेंगे। धनतेरस पर ब्रह्म और ऐंद्र योग रहा। इसके बाद 26 को हस्त नक्षत्र और महालक्ष्मी पूजन के दिन 27 को चित्रा नक्षत्र रहेगा। इस बार कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा तिथि किसी भी दिन सूर्योदय को स्पर्श नहीं करने के कारण इस तिथि का क्षय हो रहा है। भाई दूज पर 29 अक्टूबर को सौभाग्य और आयुष्मान जैसे मंगलकारी योग रहेंगे।
चित्रा नक्षत्र में धन की देवी लक्ष्मी का पूजन
महालक्ष्मी पूजन 27 अक्टूबर को होगा। इस दिन अमावस्या तिथि दोपहर 12.23 बजे से 28 को सुबह 9.08 बजे तक रहेगी। इसके इस दिन शाम को 5.48 बजे तक हस्त नक्षत्र और इसके बाद चित्रा नक्षत्र लगेगा। इसबार महालक्ष्मी का पूजन हस्त और चित्रा नक्षत्र के मंगलकारी संयोग में बनेगा।
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प्रतिपदा तिथि का क्षय, बनेगा सोमवती अमावस्या का संयोग
गिरिराज और गो-धन के पूजन का पर्व इस वर्ष 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसका कारण कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा तिथि का क्षय होना है। प्रतिपदा तिथि किसी भी दिन सूर्योदय को स्पर्श नहीं कर रही है। अमावस्या तिथि इस दिन सुबह 9.08 बजे तक रहेगी।
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ऐसे करें रूप चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान
रूप चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व सूर्योदय से पहले है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल, बेसन, गुलाबजल से उबटन करके अच्छी तरह से स्नान करना चाहिए। इसके बाद तीन अंजलि जल यमराज को अर्पित करें। शाम को प्रदोष बेला में 14 छोटे दीपक जलाकर चौक सजाकर उस पर रोली, चावल, धूप, दीप आदि से पूजन करें। साथ ही बड़ा चौमुखा दीपक घर के द्वार पर रखे और छोटे दीपक जलाकर उन्हें घर के कोनों में रखें।
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यह है महत्व
इसी दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी किया था। इसलिए मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से नरक की प्राप्ति नहीं होती है।
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