भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के करीब पौने पांच
करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन वितरण में की गई अनियमितताओं की एस.आईटी. गठित कर जांच करने की मांग करते हुए सांसद और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत इस वर्ष अप्रैल,मई और जून तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में मई और जून का राशन दिया जाना था। इन पांच माहो के राशनवितरण में पूरे प्रदेश में “महाराशन घोटाला सामने आ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न
योजना में भारत सरकार द्वारा 20 अप्रैल 2021 को पत्र भेजवर प्रदेश में 4 लाख 70 जार मेट्रिक कन
गेहूं का आवंटन दिया गया।
इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पात्र परिवारों को करीब 7 लार जार मेट्रिक टन खासान का वितरण होना था।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नीले रंग वाले परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 कि.ग्रा. अनाज मुफ्त दिया जाना प्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की सदस्य संख्या 4 करोड़ 70 लाख 46 हजार है।
इसी प्रकार अति गरीब और प्रदेश में पीले कार्ड
रखने वाले अन्त्योदय परिवारों की तादाद करीब 55 लाख 50 हजार है। ऐसे परिवारों को 1 कि.ग्रा.
शक्कर के साथ-साथ नमक और मिट्टी तेल की भी पात्रता है
इस संबंध में गत वर्ष 10 अक्टूबर 2020 को मुख्यमंत्री
पत्र लिखते हुए उच्च स्तरीय जांच की माग की थी। इस वर्ष भी गरीबो का राशन छीने जाने की
सूचना मिलने पर मेरे द्वारा 15 जून 2021 को पुनः मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र
लिखकर जांच की मांग की और यह बताया कि किस तरह गरीब लोगों से अगुठा लगवाकर और
हस्ताक्षर कराते हुए उन्हें 5 माह की जगह 23 माह का ही राशन दिया जा रहा है। इस पत्र में भी
मैने प्रदेश में हो रही राशन की कालाबाजारी की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। दुर्भाग्य है कि
प्रदेश के गरीबों के हक के अरबों रूपये के अनाज के वितरण में अनियमितता लगातार जारी है और
शासन स्तर से कोई जांच नहीं की जा रही है।ओर
राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भोपाल जिले में हुए इस घोटाले की कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा पडताल की गई तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें हितग्राही बयान दे रहे है कि उन्हें मिलने वाले राशन का आधा हिस्सा भी नहीं दिया गया है। आश्चर्यजनक यहहै कि उचित मूल्य की दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों ने खाद्य सुरक्षा के पोर्टल पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की एंट्री तो की है पर पूरा राशन नहीं दिया।
इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा मिशन के हितग्राहियों की पोर्टल पर किसी भी तरह की एन्ट्री नहीं की गई है। मेरी मांग है कि हजारों
करोड़ रूपये कीमत वाले इस “महाराशन घोटाले की जांच सी.बी.आई, से कराई जाये या फिर
एस.आई.टी. गठित कर जांच कराई जानी चाहिये।