कांग्रेस ने शनिवार को लॉकडाउन और आरोग्य सेतु ऐप को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। विपक्षी दल ने कोरोना महामारी से लड़ाई में सरकार की कोशिशों को लेकर स्थिति साफ करने की मांग की है। राहुल गांधी ने इस ऐप को को एक जटिल निगरानी प्रणाली बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि आरोग्य सेतु से जुड़े काम के लिए सरकार ने प्राइवेट ऑपरेटर को आउटसोर्स किया है। यह डाटा सुरक्षा और निजता को लेकर चिंताजनक है। तकनीक हमें सुरक्षित रख सकती है, लेकिन लोगों को उनकी मर्जी के बिना ट्रैक करने के लिए कोरोना के डर का फायदा नहीं उठाया जा सकता।
इस ऐप को सरकार ने अप्रैल में लॉन्च किया था। केंद्र के मुताबिक,
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कोई भी अपनी मर्जी से इसका इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, अब सरकार ने ऐप को सभी सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए डाउनलोड करना जरूरी कर दिया है। अगर किसी प्राइवेट कर्मचारी के मोबाइल में यह ऐप नहीं मिला तो उसकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, घर से काम करने वालों को इसे डाउनलोड करने की जरूरत नहीं है।
The Arogya Setu app, is a sophisticated surveillance system, outsourced to a pvt operator, with no institutional oversight – raising serious data security & privacy concerns. Technology can help keep us safe; but fear must not be leveraged to track citizens without their consent.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 2, 2020
ऐप लोगों की रक्षा करने वाला एक शक्तिशाली साथी: प्रसाद
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी ऐप पर किए गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हर दिन एक नया झूठ। यह ऐप लोगों की रक्षा करने वाला एक शक्तिशाली साथी है।
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इसकी डेटा सुरक्षा की प्रणाली मजबूत है। जो लोग अपनी पूरी जिंदगी खुद ही सर्विलांस करने में शामिल रहे वे नहीं समझ सकते कि अच्छाई के लिए तकनीक का फायदा कैसे उठाया जा सकता है।’’
Daily a new lie.
Aarogya Setu is a powerful companion which protects people. It has a robust data security architecture.
Those who indulged in surveillance all their lives, won’t know how tech can be leveraged for good! https://t.co/t8ThXmddcS— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 2, 2020
नीति आयोग ने कहा- आरोग्य सेतु ऐप सुरक्षित
नीति आयोग ने ऐप में जीपीएस तकनीक के इस्तेमाल का बचाव किया है। आयोग ने कहा कि जीपीएस का इस्तेमाल करने से नए हॉटस्पॉट का पता लगाने में मदद मिलती है।
https://www.youtube.com/watch?v=kN5LXm69BvA&t=368s
राहुल से पहले भी कुछ विशेषज्ञों ने इस ऐप में निजता से समझौता किए जाने की बात कही थी। इसमें जीपीएस आधारित डेटा लोकेशन का इस्तेमाल चिंता की बात है। ऐप को जरूरत से ज्यादा डेटा चाहिए। इसके साथ गुणवत्ता भी दूसरे देशों के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप की तुलना में कम है।