भोपाल में एक दिन में 18 कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार कोरोना मौतों से श्मशानों पर शवों की कतार, कम पड़ी लकड़ियां

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    भोपाल में मंगलवार को 18 कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार हुआ है। एक दिन में कोरोना से हुई मौतों का ये दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 18 सितंबर को 23 मौतें हुई थीं। सरकारी रिकॉर्ड से ये मौतें गायब हैं। शहर में कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार भदभदा, सुभाष नगर घाट और झदा कब्रिस्तान पर हो रहा है। मंगलवार को दिनभर यहां वेटिंग रही।

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    मुश्किल ऐसी कि अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची थी। लकड़ियों का भी बस एक दिन का स्टॉक बाकी हैं। इन तीनाें जगह पर बीते 7 दिन में 79 और 1 से 30 मार्च तक 132 अंतिम संस्कार होना दर्ज है। अकेले सोमवार को 17 और रविवार को 10 कोविड शवों का दाह संस्कार हुआ। जबकि प्रशासन सिर्फ 13 मौत का आंकड़ा बता रहा है। सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी के मुताबिक अस्पतालों की जानकारी पर डाटा बनता है। विश्रामघाट-कब्रिस्तान की सूची पर कुछ नहीं कह सकते।

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    भोपाल में 498 संक्रमित, आनंद नगर नया हॉटस्पॉट, एक दिन में 17 मरीज

    राजधानी में मंगलवार को 498 तो प्रदेश में 2173 संक्रमित मिले। आनंद नगर नया हॉटस्पॉट बना है। यहां एक दिन में 17 नए केस, जबकि चार दिन में 50 केस मिल चुके हैं। फिल्म लव हॉस्टल के 4 क्रू मेंबर पॉजिटिव हो चुके हैं। प्रदेश में संक्रमण दर 10.6% हो गई है। इससे ज्यादा दर पिछले साल सितंबर में 13.50% थी।

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    नया आदेश: पहली से 8वीं तक के सभी स्कूल 15 अप्रैल तक बंद

    स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में पहली से 8वीं तक के सभी स्कूल 15 अप्रैल तक बंद कर दिए हैं। सिर्फ 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं 1 अप्रैल से शुरू हो सकेंगी। इसके लिए भी अभिभावकों की सहमति जरूरी है। वहीं, माशिमं ने 10वीं व 12वीं परीक्षाओं का टाइम टेबल बदला है। 10वीं की परीक्षाएं 30 अप्रैल से 15 मई तक और 12वीं की एक मई से 21 मई तक चलेंगी।

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    भदभदा विश्राम घाट पर एक दिन की लकड़ी बाकी है, खेप नहीं आई तो बंद हो जाएंगे संस्कार

    भदभदा विश्राम घाट पर टीम को एक साथ कई लाशें जलती मिलीं। यहां 15 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था है। 3 कर्मचारी प्रदीप कनौजिया, महेंद्र मालवीय, राजेश हंस एक साल में 1750 कोरोना मरीजों का क्रिया कर्म कर चुके हैं।

    सामान्य दिनों में होने वाले अंतिम संस्कार की अपेक्षा अभी दोगुने अंतिम संस्कार हो रहे हैं। यही वजह है कि यहां लकड़ियों की किल्लत हो गई है। गोदाम खाली हो गया है। विश्रामघाट समिति प्राइवेट वेंडर से लकड़ी बुलाकर काम चला रही है। अभी विश्रामघाट पर सिर्फ एक दिन के उपयोग लायक लकड़ी ही बची है। अगर बुधवार को लकड़ी की खेप नहीं पहुंची तो गुरुवार को अंतिम संस्कार नहीं हो पाएंगे।