31 साल बाद रैगांव सीट जीतीं कांग्रेस, शिवराज-वीडी शर्मा नहीं बचा पाए गढ़

31 साल बाद रैगांव सीट जीतीं कांग्रेस, शिवराज-वीडी शर्मा नहीं बचा पाए गढ़

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रैगांव में कांग्रेस का 31 साल का इंतजार खत्म हो गया। भाजपा के गढ़ में प्रतिमा के हाथों आया कमल मुरझा गया है। भाजपा को बागरी परिवार की अनदेखी यहां भारी पड़ गई है। कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर भाजपा की प्रतिमा बागरी को हरा दिया। कल्पना वर्मा के बाबा ससुर बाला प्रसाद वर्मा भी नागौद से विधायक रहे हैं। अब उनकी बहू रैगांव से विधायक चुनी गई हैं।

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कांग्रेसी दिग्गजों को पीछे कर इसलिए पाया टिकट
पूर्व जिला पंचायत सदस्य कल्पना वर्मा ने 2018 में भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब वो जुगुल किशोर बागरी से हार गई थीं। उस चुनाव में उन्होंने रैगांव क्षेत्र में वर्षों से तीसरे नंबर पड़ी रही कांग्रेस को दूसरे स्थान तक पहुंचाया था। यही कारण था कि रैगांव में उपचुनाव के ऐलान के बाद से ही कल्पना को टिकट का बड़ा दावेदार माना जा रहा था। कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगाई तो कल्पना ने जनता और पार्टी दोनों के विश्वास को जीत कर रैगांव सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी। एमएससी पास कल्पना के पति का ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है।

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कांग्रेस की जीत का बड़ा कारण
राजनीतिक समीक्षक जयराम शुक्ला रैंगाव चुनाव में भाजपा की हार का बड़ा कारण पूर्व विधायक जुगुल किशोरी बागरी के परिवार को नजर अंदाज करना मान रहे हैं। जयराम के मुताबिक, बागरी परिवार का आपसी विवाद ही भाजपा की हार का बड़ा कारण बना। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी की तरफ से चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारना। इससे बसपा का कोर वोट कांग्रेस की ओर मुड़ गया। कांग्रेस नेता अजय सिंह ने सवर्णों को साधने में सफल रहे।

भाजपा की हार के यह कारण

  • बीजेपी का मिस मैनेजमेंट रहा। बड़े नेताओं की फौज उतार दी गई, लेकिन प्रबंधन किसी एक के हाथ नहीं रहा।
  • विंध्य में सवर्णों पर पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला जैसे नेताओं को महज एक मंडल तक सीमित रखा।
  • सतना सांसद गणेश सिंह की सवर्णों से खुन्नस से भाजपा को काफी नुकसान झेलना पड़ा।
  • कांग्रेस शिवराज सिंह के लगातार दौरों को यह कहते हुए भुनाने में कामयाब रही कि भाजपा की हालत यहां खराब है।
चुनाव विजेता जीतने वाला प्रत्याशी हारने वाला प्रत्याशी
1977 जनता पार्टी विश्वेश्वर प्रसाद रामाश्रय प्रसाद (कांग्रेस)
1980 कांग्रेस रामाश्रय प्रसाद जुगल किशोर बागरी (बीजेपी)
1985 कांग्रेस रामश्रय प्रसाद जुगल किशोर बागरी (बीजेपी)
1990 जनता दल धीरेंद्र सिंह ‘धीरू’ जुगल किशोर बागरी (बीजेपी)
1993 बीजेपी जुगल किशोर बागरी राम बहरी (बसपा)
1998 बीजेपी जुगल किशोर बागरी ​​​​​ उषा चौधरी (बसपा)
​​​2003 बीजेपी जुगल किशोर बागरी उषा चौधरी (बसपा)
2008 बीजेपी जुगल किशोर बागरी उषा चौधरी (बसपा)
2013 बसपा ऊषा चौधरी पुष्पराज बागरी (बीजेपी)
2018 बीजेपी जुगल किशोर बागरी कल्पना वर्मा (कांग्रेस)

 

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