राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश ने पहली से आठवीं कक्षा तक करीब साढ़े तीन करोड़ वे पुरानी किताबें बांटी हैं, जिनमें मुगलों के इतिहास से जुड़े अध्याय थे।
केंद्र सरकार ने भले ही ‘मुगलों के इतिहास’ से जुड़े अध्याय किताबों से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं, लेकिन यह विवादों का अध्याय अब तक खत्म नहीं हुआ है। राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश ने पहली से आठवीं कक्षा तक करीब साढ़े तीन करोड़ वे पुरानी किताबें बांटी हैं, जिनमें मुगलों के इतिहास से जुड़े अध्याय थे।
शिक्षकों ने इन किताबों से पढ़ाने से इनकार किया तो राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) ने आदेश जारी कर दिया कि यही किताबें मान्य हैं। आरएसके के संयुक्त संचालक संजय पटवा ने बताया कि मुगलों के जो अध्याय शामिल हैं, उन्हें शुद्धि पत्र के माध्यम से न पढ़ाने की जानकारी शिक्षकों को दी जाएगी। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भी स्थिति स्पष्ट की है।
2 सीनियर IPS प्रमोट, 18 IAS के ट्रांसफर,इंदौर-भोपाल के कमिश्नर की अदला-बदली
आरएसके का कहना है कि एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम में कमी की है। अध्ययन सामग्री में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए पिछले सत्र यानी 2022-23 में मप्र पाठ्यपुस्तक निगम की ओर से मुद्रित पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन के लिए उपयोग किया जा सकता है। सत्र 2023-24 में कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय भाषा के लिए एक ही किताब रहेगी।
अगले साल नई किताबें आनी हैं
अगले साल नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क के आधा पर नई किताबें आनी हैं। इस वजह से एनसीईआरटी ने भी नई किताबें जारी नहीं कीं। जो चैप्टर कम किए हैं, उनके लिए शुद्धि पत्र जारी किया है। कुछ चैप्टर भी ऐसे हैं जो कोर्स में तो रहेंगे पर उसका कुछ हिस्सा हटाया गया है। इसके बारे में शिक्षकों को जानकारी जा रही है। इसमें अध्ययन-अध्यापन सामग्री में कोई बदलाव नहीं है। केवल सामान्य भाषा की अब एक किताब कर दी गई है। -धनराजू एस, संचालक राज्य शिक्षा केंद्र