टेबल टेनिस में डिफेंडिंग चैंपियन को हरा अविनाश ने अपने नाम किया राज्य विजेता का खिताब

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    टेबल टेनिस के एकल वर्ग में राज्य विजेता बने अविनाश,किसी भी लक्ष्य हासिल करने के लिए अनुशासन को बताया अहम

    मध्यप्रदेश विद्युत मंडल जबलपुर के केंद्रीय कार्यालय की ओर से आयोजित मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अंतर राज्य क्षेत्रीय टेबल टेनिस प्रतियोगिता में धार के अविनाश वर्मा ने अपने जबरजस्त खेल से लोहा मनवाते हुए शानदार तरीके से एकल वर्ग में राज्य विजेता का खिताब हासिल किया।

    आपकों बतां दें अविनाश इस पूरी प्रतियोगिता के दौरान अपराजित रहे और फाइनल मुकाबले में डिफेंडिंग चैंपियन हितेश परमार (जबलपुर) को 4 सेट [12-10,9-11,11-8,11-6] के संघर्षपूर्ण मुकाबले में (3-1) से हराकर खिताब अपने नाम किया मिली जानकारी के मुताबिक हितेश परमार कई वर्षों से विभागीय स्पर्धा में विजेता रहे थे।

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    जब विचारोदय कि टीम ने अविनाश वर्मा से बात कर अनुभव के बारे में जाना तो उन्होंने बताया लॉकडाउन के मुश्किल दौर में जहां सबकुछ बंद था ऐसे में प्रैक्टिस करना एक चुनौतीभरा काम था पर कहते है.. न जहां चाह वहां राह.. इसी बात को सार्थक करते हुए अपने बेटे को टेबल टेनिस का खेल सिखा प्रैक्टिस जारी रखी और साथ ही सर्विस बॉल से सेल्फ प्रैक्टिस जारी रखी।

    टेबल टेनिस की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में विजेता रहे अविनाश वर्मा ने बताया कि न सिर्फ टेबल टेनिस बल्कि प्रत्येक खेल के दौरान अनुशासन का बहुत महत्व है इसके बिना कुछ संभव नही हैं, साथ ही खिलाड़ी के अच्छी ट्रेनिंग और डाइट के लिए माता-पिता के सक्षम होने के और इशारा करते हुए बताया कि न सिर्फ माता-पिता का आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है बल्कि उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से भी तैयार होना होगा। क्योंकि बच्चों के साथ साथ उनके माता-पिता को भी उतनी ही मेहनत करनी होती हैं।

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    जब विचारोदय टीम ने श्री वर्मा से माता-पिता के आर्थिक रूप से सक्षम वाले व्यंग पर सरकार की और से खेलों इंडिया व अन्य खेल से जुडी योजनाओं के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि यह सब कागजी बातें हैं इसमें सरकार पूरी तरह विफल रही है। जमीनी स्तर पर इसका कोई वास्ता नहीं है अगर किसी खिलाड़ी को एक टूर्नामेंट में भी खेलना है तो उसमें हज़ारो का ख़र्चा आता है इस कारण से न केवल खिलाड़ी बल्कि उसके पूरे परिवार पर भी जीत हार के अलावा आर्थिक रूप से दवाब पड़ता है जिसके चलते अक्सर कई खिलाड़ी जो एक मुकाम तक पहुंच चुके होते हैं वह भी खेल को अलविदा कह देते हैं।

    वहीं खिलाड़ियो की अथक परिश्रम और जीत पर उनकी प्रतिभा को दरकिनार कर जातिगत आधार पर वो किस जाति से हैं यह देखने वालों को अविनाश वर्मा ने ओछी राजनीति व छोटी मानसिकता वाला बताया उन्होंने कहा कि यह लोग खिलाड़ियों के नाम को अपनी ओछी राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हैं व उनके लिए मानसिक रूप से नई चुनोती खड़ी करने का काम करते है।

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