मप्र में नीलगाय और जंगली सूअर के शिकार को  मिलेगी मंजूरी 20 साल बाद बदलेगा नियम

मप्र में नीलगाय और जंगली सूअर के शिकार को मिलेगी मंजूरी 20 साल बाद बदलेगा नियम

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वन विभाग की तरफ से नीलगाय और जंगली सूअर के शिकार को मिलेगी मंजूरी 20 साल बाद बदलेगा नियम

मध्यप्रदेश में अब से जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार को वन विभाग की तरफ से मंजूरी मिलेगी जिसकी जानकारी देते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी),मप्र ने बताया कि इन वन्य प्राणियों का शिकार करने से पहले वन विभाग की मंजूरी लेना आवश्यक है जिसके लिए आवेदन देना होगा और उस आवेदन की स्वीकृति सप्ताह भर के भीतर मिल जाएगी लेकिन शिकार करने की मंजूरी की बस उन्हीं लोगों को मिलेगी जिनके पास लाइसेंसी हथियार होंगे

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यदि शिकारियों के पास लाइसेंसी हथियार नहीं है तो वह ऐसे व्यक्ति के साथ मिलकर शिकार कर सकते हैं जिसके पास लाइसेंसी हथियार हो आवेदन फॉर्म पर दोनों के नाम लिखे जाएंगे आपको बता दें वन विभाग 20 साल के बाद अपने यह नियम बदलने जा रहा है इससे पहले साल 2002 और 2003 में जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार पर प्रतिबंध लगा था नए नियम में वॉट्सएप या ई-मेल पर रेंजर को भेजी गई सूचना को ही आवेदन माना जाएगा। शिकार की अनुमति का अधिकार भी जिला प्रशासन लेकर फॉरेस्ट के एसडीओ को दिया जाएगा।

फिलहाल संबंधित क्षेत्रों में विधायकों को पत्र भेज दिए गए हैं और उनकी राय जानने के बाद इस नियम को मंजूरी दे दी जाएगी वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इंदौर, उज्जैन, पन्ना, छतरपुर, रीवा सर्किल से जुड़े क्षेत्र में नीलगाय और खंडवा, होशंगाबाद, इटारसी, मंडला, उमरिया, डिंडोरी व टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्र में जंगली सूअर का प्रभाव है

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एसडीएम देते हैं मंजूरी

मौजूदा एक्ट में जंगली सूअर और नीलगाय को मारने की स्वीकृति एसडीएम देते हैं। शिकारी के पास गन का लाइसेंस होने के साथ ही उस व्यक्ति का रजिस्टर्ड शिकारी होना जरूरी है।
सूअर व नीलगाय को मारते समय उसका निजी जमीन पर होना जरूरी है। शिकारी को ही यह लिखकर देना होगा कि जिसे उसने मारा है, वही फसल का नुकसान करता था।
शिकार के बाद शव निजी जमीन पर ही मिलना चाहिए। सूअर की संख्या 10 तय थी, जबकि नीलगाय की कोई संख्या तय नहीं थी। आवेदन और उसकी स्वीकृति की कोई समय सीमा नहीं थी।

एसडीओ फॉरेस्ट के पास से मंजूरी मिलने लगेगी तो नीलगाय या जंगली सूअर से प्रभावित लोग आवेदन करेंगे। वैसे इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि सीमित संख्या में अनुमति दी जाए। यह सही है कि इन दोनों जानवरों की संख्या ज्यादा होने की वजह से यह फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।  – आलोक कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), मप्र

एसडीओ फॉरेस्ट देंगे स्वीकृति

हथियार लाइसेंसी शिकार कर सकेगा। यदि किसी के पास लाइसेंस नहीं है तो वह उस जिले के किसी भी दूसरी लाइसेंसी व्यक्ति से शिकार करा सकेगा। फॉर्म में दोनों के नाम संयुक्त रूप से लिखे रहेंगे।
समय सीमा तय रहेगी। आवेदन मिलने के बाद रेंजर पांच दिन के भीतर मौका जाकर देखेगा और उसकी रिपोर्ट के बाद तीन दिन में एसडीओ मंजूरी देगा।
निजी जमीन पर जानवर को मारने के बाद यदि वह जंगल में जाकर मरता है तो इसमें कोई विवाद नहीं होगा। एक बार में पांच-पांच जंगली सूअर या नीलगाय को मारने की इजाजत रहेगी।

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