जब पूरा देश 15 अगस्त1947 को अपने आज़ाद होने का जश्न मना रहा था तब कुछ रियासत ऐसी थी जो अभी भी आज़ादी के लिए जूझ रही थी उनमे से एक थी भोपाल रियासत जो कि स्वतंत्रता सेनानियों के कड़ी मेहनत व बलिदान के चलते आज़ादी के 22 महीने बाद 1 जून 1949 को आज़ाद हुआ
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भोर सुभोर भोपाल की..
भोपाल में आज़ादी के लिए क्या क्या व कैसे हुआ इसका नाट्यमंचन भारत भवन में भोपाल की वर्षगांठ के अवसर पर हुआ।
नाटक में दिखाया गया कि भोपाल नवाब भारत में विलय नहीं चाहते थे आम जनता में इसे लेकर आक्रोश था आजादी की मांग करने वालों पर पुलिस लाठीचार्ज कर देती है सरदार वल्लभ भाई पटेल के हस्तक्षेप के बाद भोपाल का विलय होता है और नवाब देश छोड़कर पेरिस चले जाते हैं उनका कहना था कि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से उद्धव दास मेहता हिंदू महासभा बालकृष्ण गुप्ता कम्युनिस्ट पार्टी और शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस से जुड़ गए वही भाई रतन कुमार पत्रकार थे चारों ने अलग-अलग रास्ते चुने इस आंदोलन में सभी वर्गों का समग्र योगदान रहा।
भोपाल विलीनीकरण के अवसर पर महापौर आलोक शर्मा..
भोपाल विलीनीकरण के अवसर पर महापौर आलोक शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने शहर वासियों को बधाई दी और विलीनीकरण के संबंध में जानकारी दी
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सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान :सीएम
इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरदार पटेल की समझदारी के कारण 500 से ज्यादा रियासतों का विलय हुआ था क्योंकि कश्मीर का मामला पंडित जवाहरलाल नेहरु के पास था अगर यह भी सरदार पटेल के पास होता तो आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी हमारे पास होता।