“The proposed income guarantee scheme fails the economics test, fiscal discipline test and execution test” #MinimumIncomeGuarantee #GDP #IndiaEconomy #FiscalDeficit #Budget dailypioneer.com/2019/business/
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी मास्टर स्ट्रोक ‘न्याय’ योजना पर टिप्पणी करके नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार फंस गए हैं.
अब चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के खिलाफ संज्ञान लेते हुए इसे आचार संहिता का उल्लघंन माना है. माना जा रहा है कि चुनाव आयोग एक-दो दिन में राजीव कुमार को नोटिस भेज कर जवाब-तलब कर सकता है. चुनाव आयोग को यह सब नागवार इसलिए गुजरा है क्योंकि राजीव कुमार नौकरशाह हैं. साथ ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं. उन्हें राजनीतिक दलों के चुनावी अभियान पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए.
राजीव कुमार ने ट्वीट कर कहा था कि न्याय योजना तो चांद लाकर देने जैसा वादा है. इस अव्यवहारिक योजना से देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. सरकारी खजाने को जो घाटा होगा, उसे पूरा नहीं किया जा सकेगा. इस टिप्पणी पर राजीव कुमार से चुनाव आयोग विस्तृत ब्योरा मांग सकता है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा था, ‘2008 में चिदंबरम वित्तीय घाटे को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी तक ले गए. यह घोषणा उसी पैटर्न पर आगे बढ़ने जैसा है. राहुल गांधी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर बैठे. अगर यह स्कीम लागू होती है तो हम चार कदम और पीछे चले जाएंगे.’
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह भी कहा कि इससे ऐसा हो सकता है कि वित्तीय घाटा बढ़कर 3.5 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी तक हो जाए. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हमारी रेटिंग घटा दें. हमें बाहर से लोन न मिले. इसका नतीजा यह होगा कि लोग हमारे यहां निवेश करना रोक देंगे.
आयोग से जुड़े अधिकारी इसे दूसरी तरह से देख रहे हैं. उनका मानना है कि यह एक राजनीतिक दल के दूसरे दल पर टिप्पणी का मामला नहीं है. इसलिए इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है. गौरतलब है कि कुमार ने न्यूनतम आय योजना की घोषणा को कांग्रेस का पूरा नहीं किया जा सकने वाला चुनावी वादा बताया था.
लोकसभा में मोदी को हरायेगा परिवारवाद.?

दरअसल लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने पुलिस और अन्य पर्यवेक्षकों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में पूरे चुनाव के दौरान निषप्क्ष रहने का निर्देश दिया. 2018 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान पर्यवेक्षकों की पक्षपात और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की शिकायतें मिली थीं.
@vicharodaya